मलेशिया में नाकाम हुई पाकिस्तान की साजिश, भारत का प्रतिनिधिमंडल पहुंचाया मजबूत संदेश
भारत के जवाबी अभियान के बाद विदेशों में सक्रिय हुआ प्रतिनिधिमंडल
पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जोरदार जवाबी कार्रवाई की। इस घटनाक्रम के बाद भारत ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दुनिया के विभिन्न देशों में भेजा, ताकि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के दोहरे चेहरे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर किया जा सके।
संजय झा के नेतृत्व में मलेशिया में आयोजित होने थे कार्यक्रम
इसी सिलसिले में सांसद संजय झा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मलेशिया में कई कार्यक्रम आयोजित करने वाला था। इस दल में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल थे। मलेशिया उनका अंतिम पड़ाव था, जहां पर भारत की ओर से कश्मीर मुद्दे और आतंकवाद पर स्थिति स्पष्ट की जानी थी।
पाकिस्तान ने मलेशिया में अपनाया धार्मिक हथकंडा
पाकिस्तान ने इस कार्यक्रम को रुकवाने के लिए मलेशिया सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया। उसने मलेशिया से अपील की कि वह भारत के प्रतिनिधिमंडल को अपने देश में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति न दे। पाकिस्तानी दूतावास ने तर्क दिया कि मलेशिया और पाकिस्तान दोनों इस्लामिक देश हैं, इसलिए भारत को यह मंच नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में लंबित होने की बात भी दोहराई।
मलेशिया ने पाकिस्तान की अपील ठुकराई
मलेशिया ने पाकिस्तान के धार्मिक दबाव को दरकिनार करते हुए भारत के प्रतिनिधिमंडल को सभी कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दे दी। इससे पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से तगड़ा झटका लगा। मलेशिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर भावनात्मक या धार्मिक अपीलों के बजाय व्यावहारिक और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाएगा।
कौन-कौन थे प्रतिनिधिमंडल में
इस प्रतिनिधिमंडल में जदयू सांसद संजय झा के अलावा भाजपा की अपराजिता सारंगी, बृज लाल, हेमांग जोशी, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, सीपीआई-एम के जॉन ब्रिटास और राजदूत मोहन कुमार जैसे नेता शामिल थे। ये प्रतिनिधि पहले ही सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया का दौरा कर चुके थे।
संजय झा का बयान – “दुनिया को दिया स्पष्ट संदेश”
संजय झा ने मलेशिया दौरे के समापन पर कहा, “इस दौरे से चार-पांच मुख्य बातें सामने आईं – पहली, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर वैश्विक मंचों पर सख्त संदेश दिया। दूसरी, सभी देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। तीसरी, भारत ने सीमित कार्रवाई कर सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे संयम और रणनीतिक समझ का परिचय मिला।”
नतीजा – पाकिस्तान की कोशिश नाकाम, भारत का संदेश सफल
पाकिस्तान भले ही धार्मिक तर्कों का सहारा लेकर मलेशिया को भारत के कार्यक्रमों से रोकना चाहता था, लेकिन वह अपने मंसूबों में नाकाम रहा। भारत का प्रतिनिधिमंडल न केवल अपने कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित कर पाया, बल्कि उसने विश्व समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति और पाकिस्तान की भूमिका पर सटीक जानकारी भी दी।