संसद में अदाणी रिश्वत मामले को लेकर Opposition ने किया स्थगन, महंगाई और बेरोजगारी पर भी बढ़ी चर्चा
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को कांग्रेस नीत Opposition ने अदाणी समूह पर रिश्वत के आरोपों को लेकर दोनों सदनों में कार्यवाही स्थगित करने की मांग की। हालांकि, विपक्ष की यह स्थिति ज्यादा समय तक नहीं चलने की संभावना है, क्योंकि अन्य INDIA गठबंधन के दल महंगाई और बेरोजगारी जैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
अदाणी मामले पर Opposition की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी पूरे सत्र को अदाणी मुद्दे पर बाधित करने की योजना नहीं बना रही है, क्योंकि अन्य मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में अदाणी विवाद को शामिल नहीं किया और महंगाई, बेरोजगारी, प्रधानमंत्री आवास योजना और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों पर चर्चा की योजना बनाई। बंगाल मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि इन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
क्षेत्रीय दलों की प्राथमिकताएं और कांग्रेस का रुख
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस और अन्य दलों के बीच समीकरण को प्रभावित करेंगे। तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस की नेतृत्व वाली लाइन से हटकर अपनी प्राथमिकताएं तय की हैं, और आगामी राज्य चुनावों में अपने मुद्दों को प्राथमिकता दे सकती है।
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अदाणी मुद्दे पर कांग्रेस का रुख और जाँच की मांग
कांग्रेस के जनसंपर्क सचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी अदाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की जांच की मांग पर अडिग है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी न्यायालय ने अदाणी समूह के खिलाफ जो खुलासे किए हैं, उसके बाद JPC का गठन और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
संसद में विपक्ष की रणनीति
संसद में विपक्ष ने महंगाई, मणिपुर हिंसा और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की मांग की। राजीव गांधी द्वारा उठाए गए 13 नोटिसों में अदाणी रिश्वत मामले के साथ मणिपुर हिंसा और उत्तर प्रदेश के संभल में हुए हिंसक संघर्ष पर भी चर्चा की मांग की गई थी। हालांकि, उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने इन नोटिसों को अस्वीकृत कर दिया और कार्यवाही को बुधवार तक स्थगित कर दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पार्टी नेताओं से संसद में विरोध दर्ज कराने के लिए रचनात्मक तरीके अपनाने की अपील की, ताकि संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चल सके।