ऑपरेशन केलर: शोपियां के जंगलों में आतंकियों पर कहर
दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में भारतीय सुरक्षाबलों ने एक बड़ा आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया है, जिसे “ऑपरेशन केलर” नाम दिया गया है। यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब सुरक्षाबलों को खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली कि शोपियां के केलर क्षेत्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी छिपे हुए हैं। इसके बाद सेना ने इलाके में ‘सर्च एंड डिस्ट्रॉय’ मिशन शुरू किया, जिसमें अब तक तीन आतंकियों को मार गिराया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद दूसरा बड़ा एक्शन
यह ऑपरेशन उस समय शुरू किया गया जब घाटी में चल रहे “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पहले ही आतंकियों पर दबाव बनाया जा रहा था। 13 मई की सुबह भारतीय सेना ने शोपियां के घने जंगलों में ऑपरेशन केलर को अंजाम देने की योजना बनाई। यह क्षेत्र ‘शुकरू फॉरेस्ट’ के नाम से जाना जाता है और आतंकी गतिविधियों का पुराना गढ़ माना जाता है।
दोपहर 12:53 पर ऑपरेशन की पुष्टि
सेना के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन (ADGPI) ने दोपहर 12:53 पर सोशल मीडिया के ज़रिए इस ऑपरेशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स (RR) को सूचना मिली थी कि इलाके में कुछ आतंकी छिपे हैं। इसके बाद सेना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
भीषण मुठभेड़ में तीन आतंकी ढेर
जब सेना के जवान तलाशी अभियान में आगे बढ़े, तो आतंकियों ने खुद को घिरा देखकर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और भीषण मुठभेड़ के बाद तीन लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी मारे गए। यह आतंकी इलाके में हिंसा फैलाने और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने जैसी घटनाओं में शामिल थे।
ऑपरेशन केलर नाम क्यों?
यह ऑपरेशन जिस इलाके में हुआ, उसका नाम ‘केलर’ है जो शोपियां के एक ब्लॉक का हिस्सा है। यही वजह है कि इस मिशन को “ऑपरेशन केलर” नाम दिया गया। केलर क्षेत्र शोपियां कस्बे से लगभग 12.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और घने जंगलों से घिरा हुआ है।
ऑपरेशन अभी जारी है
हालांकि, तीन आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन ऑपरेशन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। सुरक्षा बल इलाके में अभी भी सर्च अभियान जारी रखे हुए हैं, ताकि कोई और आतंकी छिपा न रह जाए।
निष्कर्ष
ऑपरेशन केलर भारतीय सेना की एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। यह न केवल आतंकियों के लिए कड़ा संदेश है, बल्कि घाटी में शांति बनाए रखने की दिशा में भी एक अहम कदम है। सेना की सख्त कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।