मंत्री संपतिया उईके के खिलाफ जांच के आदेश, 1000 करोड़ के हेराफेरी के आरोप
मध्य प्रदेश में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है, जहां राज्य की मौजूदा सरकार ने अपने ही एक कैबिनेट मंत्री के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। यह मामला सीधे तौर पर जल जीवन मिशन से जुड़ा है और आरोपों की राशि इतनी बड़ी है कि यह पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला देने के लिए काफी है।
आदिवासी मंत्री पर 1000 करोड़ के घोटाले का आरोप
मध्य प्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उईके पर जल जीवन मिशन के अंतर्गत ठेके देने के एवज में 1000 करोड़ रुपये के कमीशन लेने का गंभीर आरोप लगाया गया है। यह आरोप पूर्व विधायक किशोर समरीते द्वारा लगाए गए हैं, जिन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को शिकायत भेजते हुए इस घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
मोहन सरकार ने दिए जांच के निर्देश
इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने खुद इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। आमतौर पर सत्ता पक्ष अपने मंत्रियों को बचाने की कोशिश करता है, लेकिन इस मामले में सरकार का यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
पीएमओ ने भी मांगी रिपोर्ट
मामले की गूंज अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंच चुकी है। पीएमओ ने इस आरोप की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। इससे स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार भी इस प्रकरण पर नजर बनाए हुए है और इसकी निष्पक्ष जांच चाहती है।
जल जीवन मिशन की छवि पर सवाल
जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। लेकिन अगर इस योजना के तहत इतनी बड़ी राशि के हेरफेर के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह योजना की साख पर सीधा हमला होगा। इससे न केवल योजना की विश्वसनीयता प्रभावित होगी, बल्कि जनविश्वास को भी ठेस पहुंचेगी।
निष्कर्ष
संपतिया उईके पर लगे ये आरोप और इसके बाद की कार्रवाई एक उदाहरण हैं कि सत्ता में रहते हुए भी कोई मंत्री जांच से बाहर नहीं है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच में क्या सामने आता है और क्या यह मामला सिर्फ आरोपों तक ही सीमित रहेगा या फिर कानूनी कार्रवाई तक पहुंचेगा। फिलहाल, इस पूरे घटनाक्रम ने मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है।