नर्मदांचल के शिवाजी
पचमढ़ी गोंड शासक राजा भभूत सिंह के ऐतिहासिक योगदान को समेटे हुए है. उन्होंने इस पहाड़ी भूभाग का उपयोग शासन संचालन, सुरक्षा और सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए किया. वह गोरिल्ला युद्ध तकनीक में माहिर थे, इस तकनीक से उन्होंने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए थे. बता दें कि राजा भभूत सिंह को नर्मदांचल का शिवाजी भी कहा जाता था.
कई विकास कार्यों को भूमिपूजन, लोकार्पण
पचमढ़ी में होने वाली कैबिनेट की बैठक के साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव पर्यटन और अन्य विभागों से जुड़े 33.88 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करेंगे. इस बैठक में पचमढ़ी के पूर्व जागीरदार राजा भभूत सिंह की स्मृति में पचमढ़ी में प्रतिमा स्थापित करने का भी प्रस्ताव है. साथ ही नर्मदांचल क्षेत्र में किसी संस्थान का नाम राजा भभूत सिंह के नाम पर रखा जा सकता है.
पहले भी हो चुकी है कैबिनेट बैठक
यह पहली बार नहीं है जब सरकार की बैठक यहा हो रही है, पचमढ़ी में इसके पहले भी कैबिनेट बैठक पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में हो चुकी है. इसके अलावा बीजेपी के चिंतन शिविर भी पचमढ़ी में होते रहे हैं. पचमढ़ी भगवान भोलेनाथ की नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है, यह एमपी का एकमात्र हिल स्टेशन है. पचमढ़ी की धूपगढ़ चोटी समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर (4429 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. यह स्थल सतपुड़ा पर्वतमाला का प्रमुख आकर्षण है. इसे ‘सतपुड़ा की रानी’ भी कहा जाता है.