मिडिल क्लास की नाराजगी से परेशान बीजेपी, बजट में राहत की उम्मीद
नई दिल्ली: आगामी बजट को लेकर मिडल क्लास में नाराजगी बढ़ती जा रही है, खासकर टैक्स के बोझ को लेकर। बीजेपी के लिए इस वर्ग की नाराजगी एक चुनौती बन गई है, और विपक्ष भी इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। मिडल क्लास को राहत देने की मांग जोर पकड़ रही है, और इनकम टैक्स में कुछ राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है।
महंगाई और टैक्स के बोझ ने बढ़ाई परेशानी
पिछले कुछ सालों में महंगाई और टैक्स के बढ़ते बोझ ने मिडल क्लास की खर्च करने की क्षमता को प्रभावित किया है। यह वर्ग लंबे समय से बीजेपी का समर्थक रहा है, लेकिन अब यह वर्ग अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर प्रकट कर रहा है। मिडल क्लास के लोग महसूस कर रहे हैं कि सरकार उनके हितों की अनदेखी कर रही है। कोविड-19 के दौरान इस वर्ग ने संकट को सहकर स्थिति को संभाला था, लेकिन अब जब स्थिति सामान्य हो गई है, तो इस वर्ग ने अपनी मांगों को लेकर आवाज उठानी शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया पर टैक्स पर चर्चा
पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर टैक्स को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। मिडल क्लास में यह धारणा बन रही है कि सरकार उनके हितों के प्रति गंभीर नहीं है। उनका आरोप है कि सरकार उनका समर्थन ले तो लेती है, लेकिन जब उनके लिए कुछ देने की बात आती है, तो उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस वर्ग का मानना है कि सरकार केवल टैक्स वसूलने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन इस टैक्स से उन्हें कोई खास फायदा नहीं हो रहा है।
मुफ्त रेवड़ी और मिडल क्लास की उपेक्षा
चुनावों में मुफ्त योजनाओं का चलन बढ़ने के बाद मिडल क्लास को यह महसूस होने लगा है कि सरकार ने उनके हितों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। इस वर्ग का कहना है कि चुनावों के दौरान उनकी जरूरतों को पूरा करने के बजाय सरकार मुफ्त योजनाओं का प्रचार कर रही है। इससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। इसी वजह से सरकार ने हाल ही में एक कदम उठाते हुए हर महीने का GST कलेक्शन डेटा सार्वजनिक न करने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य टैक्स के बढ़ते बोझ से गलत संदेश को रोकना था।
सरकार का फीडबैक और कदम
सरकार को मिल रहे फीडबैक के बाद उसने यह फैसला लिया कि टैक्स कलेक्शन पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाएगा, क्योंकि इससे मिडल क्लास में यह संदेश जा रहा था कि सरकार सिर्फ टैक्स वसूलने पर ही ध्यान दे रही है, लेकिन उसे कोई लाभ नहीं मिल रहा है। महंगाई भी मिडल क्लास के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है, जिससे उसकी खर्च करने की क्षमता और प्रभावित हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वर्ग की आय महंगाई के मुकाबले बिल्कुल नहीं बढ़ी है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो गई है।
मिडल क्लास को नजरअंदाज नहीं कर सकती सरकार
मिडल क्लास की नाराजगी और मांगों को नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए अब आसान नहीं होगा। इस वर्ग का समर्थन बीजेपी को लंबे समय से मिल रहा है, और अगर सरकार इनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो यह उसके लिए बड़ा संकट बन सकता है। हालांकि, बीजेपी ने यह मिथक तोड़ने में सफलता हासिल की है कि वह केवल शहरी वर्ग के लिए काम करती है। अब उसे इस वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियां तैयार करनी होंगी।
विपक्ष भी मिडल क्लास की ओर
विपक्षी दलों को भी यह एहसास हो गया है कि मिडल क्लास के बीच अपनी पकड़ बनाने का यह सही मौका है। इस वर्ग से जुड़े मुद्दों को उठाकर वे सरकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, सरकार के सामने आर्थिक संकट भी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार है और संसाधन सीमित हैं। फिर भी, बीजेपी के लिए यह एक कठिन स्थिति है, और विपक्ष इसे अपनी राजनीतिक बढ़त बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।