लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित पराजय के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने सक्रियता बढ़ा दी है। इस बार, उपचुनावों में हिस्सा लेने के लिए बसपा पूरी तरह से तैयार है। मायावती ने उपचुनावों के लिए प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं और उनकी तैयारियों को गति दी है। गुरुवार को पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
बसपा प्रमुख मायावती लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद ताबड़तोड़ बैठकें कर रही हैं, विशेषकर यूपी पर उनका ध्यान केंद्रित है। उपचुनावों को 2027 के चुनावों के लिए पार्टी को मजबूती देने का एक अवसर मानते हुए, वह संगठनात्मक गतिविधियों पर बारीकी से निगरानी रख रही हैं। इस क्रम में, 19 सितंबर को लखनऊ दफ्तर में एक बड़ी बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी जिलों के अध्यक्ष, मंडल कॉर्डिनेटर, सेक्टर प्रभारी, और बामसेफ जिला प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। यूपी बसपा अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने बताया कि बैठक के एजेंडे की जानकारी मीडिया से साझा नहीं की गई है।
बसपा प्रमुख मायावती इस समय आक्रामक मूड में हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट राय व्यक्त कर रही हैं। आरक्षण और जातिगत जनगणना के मामलों में भी उन्होंने खुलकर अपनी स्थिति रखी है, जबकि विपक्षी दलों पर भी निशाना साध रही हैं। आगामी उपचुनावों को लेकर, मायावती पार्टी पदाधिकारियों से संगठनात्मक गतिविधियों की फीडबैक लेंगी और दलित-पिछड़ों को साधने के लिए रणनीति तैयार करेंगी। इसके साथ ही, उपचुनाव वाली सीटों पर पार्टी की मजबूती को सुनिश्चित करने के लिए बूथ लेवल तक की तैयारियों और प्रभारियों के चयन पर भी इनपुट जुटाएंगी।
बसपा के पास यूपी के करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मंझवा, और सीसामऊ उपचुनावों में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। इनमें से 5 सीटें समाजवादी पार्टी के पास थीं, जबकि रालोद-निषाद पार्टी और बीजेपी ने 1-1 और 3 सीटों पर जीत हासिल की थी। यदि बसपा इन सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहती है, तो यह आगामी चुनावों के लिए पार्टी की मजबूती और कार्यकर्ताओं को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।