मार्क कार्नी बने कनाडा के नए नेता, जल्द संभालेंगे पीएम पद
लिबरल पार्टी ने चुना नया नेता
कनाडा की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ है। जस्टिन ट्रूडो की जगह अब मार्क कार्नी लिबरल पार्टी के नए नेता चुने गए हैं। वह जल्द ही देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। दिलचस्प बात यह है कि कार्नी का राजनीति में कोई अनुभव नहीं है, लेकिन अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनकी गहरी पकड़ और शानदार करियर ने उन्हें इस पद तक पहुंचा दिया।
कौन हैं मार्क कार्नी?
मार्क कार्नी 59 साल के हैं और उनका जन्म 1965 में कनाडा के फोर्ट स्मिथ, नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज में हुआ था। वह एडमॉन्टन में पले-बढ़े और फिर आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गए। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री ली और फिर यूनाइटेड किंगडम में मास्टर डिग्री पूरी की। 1995 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान वह आइस हॉकी भी खेलते थे, जिससे उनकी खेलों में भी रुचि झलकती है।
बैंकिंग क्षेत्र में शानदार करियर
मार्क कार्नी ने अपने करियर की शुरुआत बड़े अंतरराष्ट्रीय बैंकों से की और 2008 में उन्हें बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, खासकर 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान उनकी रणनीतियां कनाडा के लिए फायदेमंद रहीं। इसके बाद वह ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक के गवर्नर भी बने और वहां भी उन्होंने अपनी कार्यशैली से लोगों को प्रभावित किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
कार्नी को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 2010 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किया। 2011 में उन्हें ‘मोस्ट ट्रस्टेड कैनेडियन’ का खिताब मिला और 2012 में उन्हें ‘सेंट्रल बैंक गवर्नर ऑफ द ईयर’ चुना गया।
परिवार और निजी जीवन
मार्क कार्नी ने 1994 में ब्रिटेन की अर्थशास्त्री डायना फॉक्स से शादी की। फॉक्स का विशेषज्ञता क्षेत्र विकासशील देश हैं और उन्होंने अफ्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। उनके चार बच्चे हैं जो अभी अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्नी की चुनौतियां
कनाडा की अर्थव्यवस्था इस समय बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री के रूप में कार्नी के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश को आर्थिक स्थिरता की ओर ले जाने की होगी। इसके अलावा, अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को संतुलित रखना भी उनकी प्रमुख चुनौतियों में से एक होगा।
क्या कार्नी राजनीति में सफल होंगे?
राजनीतिक अनुभव न होने के बावजूद कार्नी का प्रधानमंत्री बनना दिखाता है कि जनता और पार्टी का उन पर भरोसा मजबूत है। उनकी आर्थिक नीतियों और नेतृत्व क्षमता पर सभी की नजरें टिकी होंगी। अब देखना होगा कि वह अपनी नई भूमिका में कितने सफल होते हैं।