कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को तीन दोषियों को बरी कर दिया, जिनमें से एक पाकिस्तानी नागरिक है। सभी को 2012 के लश्कर से जुड़े आतंकी षड्यंत्र मामले में निचली अदालत ने दोषी पाया था और वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। सजा के बाद आरोपियों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कोर्ट ने सुनवाई के बाद तीनों को बरी कर दिया, यह कहते हुए कि उनके खिलाफ आतंकवादी होने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार और जेएम खाजी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तीनों के खिलाफ जो सबूत पेश किए हैं, वे राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने में उनके संगठन के साथ मिलीभगत को साबित करने के लिए अपर्याप्त हैं।
ट्रायल कोर्ट ने तीनों को यूएपीए और विस्फोटक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी ठहराया था। हाई कोर्ट ने बेंगलुरु के सैयद अब्दुल रहमान, चिक्काबल्लापुर के चिंतामणि के अफसर पाशा, और कराची के मोहम्मद फहद खोया को बरी कर दिया। हालांकि, अदालत ने रहमान की अवैध हथियार रखने के मामले में सजा को बरकरार रखा।
यह मामला 7 मई, 2012 को शुरू हुआ था, जब क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर के.सी. अशोकन को एक गुप्त सूचना मिली। पुलिस ने बताया कि रहमान की पहचान पाशा और खोया के माध्यम से लश्कर के गुर्गों से हुई थी, जिनसे उसकी मुलाकात अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी के बाद बेंगलुरु जेल में हुई थी।
अभियोजन पक्ष ने तीनों को लश्कर के मुस्लिम युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के लिए भर्ती करने की साजिश से जोड़ा, जिसमें बेंगलुरु में हुआ विस्फोट भी शामिल था। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आपराधिक साजिश और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी ठहराया, जिसके लिए उन्हें यूएपीए और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आजीवन कारावास और अतिरिक्त 5-10 साल की सजा सुनाई गई थी।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की सजा के बाद तीनों ने अपील की थी। उनकी अपील पर सुनवाई करने वाली खंडपीठ ने बताया कि यूएपीए मामले को कानून के अनुसार स्वतंत्र समीक्षा प्राधिकरण को नहीं भेजा गया था। कोर्ट ने कहा, “इस स्थिति में, मंजूरी आदेश (यूएपीए लागू करने के लिए) अपनी वैधता खो देता है, जिस पर ट्रायल कोर्ट विचार करने में विफल रहा।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि तीनों के बीच जेल में हुई ‘सिर्फ मुलाकातें’ और उनके कॉल डिटेल्स साजिश का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जो सबूत हैं, वे उनकी दोषसिद्धि का समर्थन नहीं करते। कोर्ट ने राज्य सरकार को खोया को पाकिस्तान वापस भेजने का निर्देश दिया।