सुप्रीम कोर्ट जज की चेतावनी: “AI से फैसला सुनाना खतरनाक”
कोर्ट में बढ़ते AI के इस्तेमाल पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस राजेश बिंदल ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के न्यायिक कामकाज में बढ़ते उपयोग को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि कोर्ट के फैसलों में AI का सहारा लेना न्यायिक प्रक्रिया को नुकसान पहुँचा सकता है।
वरिष्ठ वकीलों के कार्यक्रम में दी चेतावनी
यह बयान उन्होंने ऑल इंडिया सीनियर लॉयर्स एसोसिएशन के एक कार्यक्रम के दौरान दिया। जस्टिस बिंदल ने साफ तौर पर कहा कि भारत और अमेरिका के कुछ युवा वकील AI आधारित टूल्स का उपयोग करके ऐसे “जजमेंट” तैयार कर रहे हैं जो या तो पूरी तरह से गलत होते हैं या फिर फर्जी होते हैं।
फर्जी निर्णय अदालतों में हो रहे पेश
जस्टिस बिंदल ने बताया कि कई बार AI से जनरेट किए गए फैसले या तो वास्तव में कभी हुए ही नहीं होते या फिर उसमें तथ्यों की गंभीर गलतियां होती हैं। ऐसे मामले अब अदालतों के सामने आ रहे हैं जहाँ AI द्वारा तैयार किए गए काल्पनिक जजमेंट को असली की तरह पेश किया जाता है। इससे ना सिर्फ अदालत का समय बर्बाद होता है, बल्कि न्याय प्रक्रिया की गरिमा को भी ठेस पहुँचती है।
AI से न्याय नहीं, दिशा दिखाने तक सीमित रहे
उन्होंने जोर देकर कहा कि AI का प्रयोग केवल जानकारियों की खोज और रिसर्च तक ही सीमित रहना चाहिए, न कि न्यायिक निर्णय लेने के लिए। उनका मानना है कि एक न्यायाधीश का निर्णय केवल कानून के आधार पर नहीं, बल्कि मानवीय समझ, अनुभव और संवेदनशीलता पर आधारित होना चाहिए – जो AI कभी नहीं दे सकता।
वकीलों को चेताया – “जिम्मेदारी समझें”
जस्टिस बिंदल ने युवा वकीलों को आगाह करते हुए कहा कि तकनीक का इस्तेमाल सोच-समझकर करें और अदालत में केवल सत्य और प्रमाणिक जानकारी ही प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि अदालत में झूठे या गढ़े हुए निर्णय पेश करना पेशेवर नैतिकता के विरुद्ध है और इससे न्यायिक व्यवस्था पर अविश्वास पैदा होता है।
निष्कर्ष
AI तकनीक ने कानूनी क्षेत्र में नई संभावनाओं के दरवाजे खोले हैं, लेकिन उसका दुरुपयोग न्यायिक प्रक्रिया को गलत दिशा में ले जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जज की यह चेतावनी वकीलों और न्यायिक संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि तकनीक का प्रयोग विवेक और नैतिकता के साथ ही किया जाना चाहिए।
मुख्य बिंदु:
- AI से फैसले सुनाना न्याय के लिए खतरनाक।
- कुछ वकील पेश कर रहे हैं फर्जी AI जजमेंट।
- न्याय केवल तकनीक से नहीं, मानवीय समझ से तय होता है।