इस बार फिर से जिला अस्पताल का मामला सामने आया, जिसमे शिकायतकर्ता महिला चिकित्सक है और आरोप भी बड़े गंभीर, वो भी अस्पताल के मुखिया सिविल सर्जन पर। लेकिन इस बार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कलेक्टर द्वारा इसकी जांच के लिए बेदाग़ छवि वाले तीन अधिकारियों की समिति बनाई गयी है। जिसमे आईएएस राजेश जैन वर्तमान समय जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, तेज तर्रार महिला अधिकारी संयुक्त कलेक्टर प्रगति वर्मा तथा प्रज्ञा मरावी उपसंचालक सामजिक न्याय शामिल है।
इस समिति के गठन के बाद महिला चिकित्सकों के अंदर न्याय मिलने की आस जागी है। उनका कहना है कि शायद पहली बार अस्पताल के बाहर के अधिकारियों की जांच टीम बनाई गयी है और इसमें अस्पताल को कोई अधिकारी कर्मचारी शामिल नही है, इससे हमें उम्मीद है कि हम महिलाओ का दर्द, बेदाग़ छवि वाले आईएएस अधिकारी श्री जैन व दोनों अन्य महिला अधिकारी जरूर समझेंगी। शायद इस बार सीएस का रसूख काम न आए और हमें न्याय मिले। विदित हो कि जिला अस्पताल मे पदस्थ दो दो महिला चिकित्सकों द्वारा सिविल सर्जन डॉक्टर जी एस परिहार को ऊपर लिखित शिकायत कर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए गए है।
इन शिकायतो को कलेक्टर केदार सिँह ने भी गंभीरता से लेते हुए 72 घंटे मे टीम को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है। अब सबकी निगाहें इस जांच टीम की रिपोर्ट पर टिकी हुई है। महिला चिकित्सकों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप कितने सही साबित होते है, यह आने वाले दिनों मे पता चलेगा। हालकि सिविल सर्जन डॉक्टर परिहार अपने ऊपर लगाए जा रहे जा रहे सारे आरोप को निराधार व झूठा बता रहें हैं।
अव्यवस्थाओ पर लगाम लगाने मे भी नाकाम दिख रहे सीएस
विदित हो की जिला आपताल मे कई डॉक्टर्स द्वारा मरीज से इलाज के नाम पर पैसो की मांग की जा चुकी है। इनमे स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत सिँह, सर्जन व्ही पी पटेल समेत कई अन्य चिकित्सक शामिल है। गत दिवस भी हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अम्बेडकर के द्वारा ऑपरेशन के नाम पर पैसा मांगे जाने का मामला सामने आया। अन्य मामलो के साथ साथ इस मामले की भी लिखित शिकायत हुईं है। लेकिन आज तक एक भी मामले की जांच का परिणाम सामने नही आ सका है। या फिर यू कहा जाए कि सिविल सर्जन अस्पताल के अंदर व्याप्त इन अनिमितताओ पर अंकुश लगाने मे नाकाम साबित हो रहें है। उनका मातहत चिकित्सकों पर नियंत्रण नजर नही आ रहा है।
इसके पीछे जानकारो का कहना है कि डॉक्टर परिहार एक दंत रोग चिकित्सक है। जबकि अस्पताल मे कई विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थ हैं। ऐसे मे भले ही डॉक्टर परिहार ने अपने पहुंच के दम पर सिविल सर्जन का पद हासिल कर लिया हो लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक उनके नियंत्रण से बाहर है। जिसके परिणाम स्वरूप मरीजों को सरकारी अस्पताल मे रिश्वत देकर इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। पूर्व मे भी अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी दो गुटों मे नजर आ चुके हैं, जिसमे कई डॉक्टर परिहार के विरोध मे थे। बहरहाल इन अव्यवस्थाओ के कारण सबसे ज्यादा नुकसान वहाँ आने वाले मरीजों को उठाना पड़ रहा हैं।