इसरो का नया कोर्स: रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी के साथ भविष्य बनाएं मजबूत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने माध्यमिक और उच्च माध्यमिक छात्रों के लिए एक खास ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की है। यह कोर्स ‘रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी’ पर आधारित है और इसका मकसद छात्रों को स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़ी बारीकियों से अवगत कराना है। इस कोर्स की सबसे खास बात यह है कि छात्रों को इसरो के अनुभवी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से सीखने का मौका मिलेगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
अगर आप 8वीं कक्षा से ऊपर के छात्र हैं और विज्ञान एवं गणित में आपकी रुचि है, तो आप इस कोर्स के लिए इस लिंक पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। यह कोर्स छात्रों को उपग्रह आधारित तकनीक के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराएगा।
कोर्स में क्या-क्या मिलेगा?
इस कोर्स में शामिल प्रमुख विषयों में निम्नलिखित टॉपिक कवर किए जाएंगे:
- रिमोट सेंसिंग का परिचय
- रिमोट सेंसिंग के चरण
- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR)
- जियोस्टेशनरी और सन-सिंक्रोनस सैटेलाइट
- रिमोट सेंसर के प्रकार
- मल्टी स्पेक्ट्रल स्कैनर
- सैटेलाइट की रिजॉल्यूशन और पावर
- डेटा प्रोडक्ट्स और सैटेलाइट इमेज इंटरप्रिटेशन
यह सभी विषय छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन की बुनियादी समझ प्रदान करेंगे।
कोर्स का उद्देश्य
इसरो द्वारा शुरू किए गए इस कोर्स का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को रिमोट सेंसिंग तकनीक की व्यावहारिक और सैद्धांतिक जानकारी देना है। इस कोर्स के जरिए छात्र जान सकेंगे कि उपग्रह से ली गई तस्वीरें कैसे पढ़ी जाती हैं, उनका विश्लेषण कैसे होता है और इन तकनीकों का उपयोग पर्यावरण अध्ययन, आपदा प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी में कैसे किया जाता है।
विशेषज्ञों से मिलेगा मार्गदर्शन
इस कोर्स के दौरान छात्रों को इसरो के वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों से सीधे सीखने का अवसर मिलेगा। इस तरह की सीख उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहायता देगी।
क्यों करें यह कोर्स?
- करियर में मजबूती: स्पेस साइंस और रिमोट सेंसिंग में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए एक बेहतरीन शुरुआत।
- प्रैक्टिकल नॉलेज: केवल थ्योरी नहीं, उपग्रह चित्रों का रियल एनालिसिस भी सिखाया जाएगा।
- फ्यूचर स्किल्स: भविष्य के विज्ञान आधारित करियर के लिए एक मजबूत आधार।
निष्कर्ष
इसरो का यह कोर्स न केवल छात्रों के ज्ञान को बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें भविष्य की तकनीकों से भी जोड़ेगा। अगर आप स्पेस और सैटेलाइट से जुड़ी तकनीकों में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह कोर्स आपके लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है।