अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली मंत्री की प्रार्थना से भड़का विवाद
धार्मिक स्थलों पर ‘स्थिति यथास्थिति’ के उल्लंघन पर बढ़ी चिंता
यरुशलम के पवित्र अल-अक्सा मस्जिद परिसर में इजरायल के एक मंत्री द्वारा प्रार्थना करने से एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। यह कदम वर्षों से चले आ रहे धार्मिक समझौतों और क्षेत्रीय संतुलन पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
क्यों है अल-अक्सा मस्जिद विवादों का केंद्र?
अल-अक्सा मस्जिद परिसर यरुशलम के पुराने शहर में स्थित है और इसे इस्लाम धर्म में तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
यहूदियों के लिए भी यह स्थल टेम्पल माउंट (Temple Mount) के नाम से जाना जाता है, जहाँ उनके दो प्राचीन मंदिर हुआ करते थे।
यह स्थान इसलिए संवेदनशील माना जाता है क्योंकि दोनों धर्मों के लिए इसकी धार्मिक महत्ता बेहद गहरी है।
धार्मिक नियम क्या कहते हैं?
इस स्थल का प्रशासन जॉर्डन की वक्फ संस्था के अधीन है और दशकों से ‘स्थिति यथास्थिति’ (Status Quo) समझौता लागू है।
इस समझौते के तहत गैर-मुस्लिमों को परिसर में प्रवेश की अनुमति तो है, लेकिन वे प्रार्थना नहीं कर सकते।
यह नियम धार्मिक संतुलन और शांति बनाए रखने के लिए बनाया गया था।
3 अगस्त 2025 को हुआ था दौरा
इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन-ग्विर ने 3 अगस्त को तिशा बी’अव के दिन इस स्थल का दौरा किया।
यह दिन यहूदियों के दो प्राचीन मंदिरों के विनाश की याद में मनाया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, बेन-ग्विर ने केवल दौरा ही नहीं किया, बल्कि वहां प्रार्थना भी की।
कुछ वीडियो में उन्हें परिसर में घूमते और प्रार्थना करते हुए दिखाया गया, हालांकि इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।
मंत्री की टिप्पणी और प्रतिक्रियाएं
बेन-ग्विर ने कहा कि उन्होंने गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल की जीत और बंधकों की रिहाई के लिए प्रार्थना की।
उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल को पूरे गाजा पर नियंत्रण करना चाहिए।
इस बयान के बाद फिलिस्तीनी पक्ष और मुस्लिम देशों में नाराज़गी बढ़ गई।
‘स्थिति यथास्थिति’ का उल्लंघन माना गया
इजरायल के प्रधानमंत्री ने सफाई दी कि इस घटना से अल-अक्सा की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
लेकिन फिलिस्तीनी राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने इसे ‘लाल रेखा पार करने वाला’ कदम बताया और अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग की।
इतिहास में भी विवाद रहे हैं
साल 2000 में इजरायली नेता एरियल शेरोन के दौरे के बाद दूसरा इंतिफादा भड़क गया था।
बेन-ग्विर पहले भी इस परिसर में जाकर यहूदी प्रार्थना की मांग कर चुके हैं, जिसे मुस्लिम समुदाय उकसावा मानता है।
क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक चिंता
हालांकि फिलहाल कोई सीधी हिंसा नहीं हुई है, लेकिन यह घटना क्षेत्र में तनाव बढ़ा रही है।
अल-अक्सा परिसर पर किसी भी तरह की हलचल का असर पूरे मध्य पूर्व में महसूस होता है।
इस तरह की घटनाएं धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम करती हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी जरूरी बन जाती है।