इश्किया गणपति मंदिर: प्रेमियों की मुराद पूरी करने वाला धाम
भारत में गणेश भगवान को हर शुभ कार्य और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा-अर्चना के बिना कोई भी मांगलिक कार्य पूरा नहीं होता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश का एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है, जहां प्रेमी जोड़े अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं? इस मंदिर को लोग इश्किया गणपति मंदिर के नाम से जानते हैं।
कहां स्थित है यह मंदिर?
इश्किया गणपति मंदिर राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है। यहां हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर बड़ा मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। खासकर प्रेमी जोड़े यहां पहुंचकर अपने रिश्ते की सफलता और स्थायित्व के लिए प्रार्थना करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में की गई प्रार्थना कभी खाली नहीं जाती।
प्रेमी जोड़ों की खास आस्था
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां आने वाले भक्तों में अधिकतर प्रेमी-प्रेमिका होते हैं। लोग मानते हैं कि गणेश भगवान यहां प्रेमियों की बाधाएं दूर करके उन्हें जीवनसाथी बनने का आशीर्वाद देते हैं। कई उदाहरण ऐसे भी बताए जाते हैं जहां इस मंदिर में मन्नत मांगने के बाद प्रेमियों की शादी सफलतापूर्वक हुई।
मंदिर की अनोखी कहानी
स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है। कहा जाता है कि यह मंदिर ऐसी जगह बना है, जहां दूर से देखने पर यहां मौजूद लोगों का पता नहीं चलता। इसी वजह से प्रेमी-प्रेमिकाएं यहां आकर आराम से भगवान गणेश को अपनी अर्जी लगाते हैं। धीरे-धीरे यह जगह प्रेमियों की खास आस्था का केंद्र बन गई।
क्यों कहलाता है ‘इश्किया गणपति मंदिर’?
कहा जाता है कि अगर यहां कोई सिंगल व्यक्ति भी आता है और सच्चे मन से पूजा करता है, तो भगवान गणेश उसकी जोड़ी बना देते हैं। यही वजह है कि इस मंदिर को लोगों ने प्यार से ‘इश्किया गणपति मंदिर’ का नाम दे दिया। यहां सिर्फ प्रेम से जुड़ी मनोकामनाएं ही नहीं, बल्कि अन्य बाधाओं के निवारण के लिए भी भक्त पहुंचते हैं।
भक्तों का बढ़ता विश्वास
बीते कुछ वर्षों में इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासतौर पर गणेश चतुर्थी के समय मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। बहुत से लोग इसे भगवान गणेश का वह स्वरूप मानते हैं, जो प्रेम और रिश्तों को संजोने का आशीर्वाद देता है।
👉 इश्किया गणपति मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्यार और विश्वास की भी एक अनोखी मिसाल बन चुका है। यहां आने वाला हर भक्त इस विश्वास के साथ लौटता है कि गणेश बप्पा उसकी झोली खाली नहीं लौटाते।