सिंधु जल समझौते पर रोक का पाकिस्तान पर बड़ा असर, खरीफ की फसल पर संकट गहराया
भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। इस फैसले का असर अब साफ तौर पर पाकिस्तान में दिखने लगा है। बिना युद्ध किए भारत ने ऐसा कदम उठाया है जिससे पाकिस्तान की कमर टूटती नजर आ रही है। सिंधु नदी के पानी के प्रवाह को रोकने के बाद पाकिस्तान में खरीफ की फसल संकट में आ गई है।
भारत ने चिनाब नदी का बहाव रोका
भारत ने बगलिहार डैम के जरिए चिनाब नदी से पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के बहाव को रोक दिया है। इसी तरह झेलम नदी पर स्थित किशनगंगा परियोजना से भी पानी रोकने की योजना बनाई जा रही है। इस रणनीतिक फैसले से पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ने वाला है। खरीफ सीजन के शुरुआती दिनों में ही पानी की भारी कमी से निपटना पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
सिंधु जल संधि पर रोक के बाद कैसी है स्थिति?
भारत के इस कदम से पाकिस्तान में चिंता की लहर दौड़ गई है। सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) की सलाहकार समिति ने चिंता जताई है कि मराला के पास चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक कमी आई है। इस वजह से मई से जून के शुरुआती खरीफ सीजन में ही पाकिस्तान को लगभग 21% पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
सिंधु सलाहकार समिति ने जताई चिंता
आईआरएसए की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, समिति ने भारत द्वारा पानी की आपूर्ति में कटौती पर गहरी चिंता जताई है। सलाहकार समिति ने कहा कि यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो आगे आने वाले महीनों में पानी की कमी और भी बढ़ सकती है। बाद की खरीफ फसल में यह कमी लगभग 7% रहने की उम्मीद जताई गई है। सिंधु सलाहकार समिति ने स्थिति पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर नई समीक्षा करने की बात भी कही है।
खरीफ फसलों पर खतरा मंडराया
पाकिस्तान में प्रमुख रूप से सिंचाई के लिए सिंधु नदी पर निर्भरता है। सिंधु जल संधि के तहत भारत को 20% और पाकिस्तान को 80% पानी मिलना तय है। भारत ने इस संधि के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए पानी रोकने का फैसला लिया है। इसका सीधा असर पाकिस्तान की धान, कपास और अन्य खरीफ फसलों पर पड़ा है, जिससे वहां अन्न संकट गहरा सकता है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया फैसला
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक प्रतिक्रिया के तौर पर यह कड़ा कदम उठाया। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों सहित एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी। इसी के बाद सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से स्थगित किया गया, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई गई।