भारत बनेगा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान को पीछे छोड़ने का सपना जल्द पूरा होगा
भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले वित्त वर्ष में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है और इसका आकार अब लगभग 330.68 लाख करोड़ रुपये यानी करीब 3.9 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था चार लाख करोड़ डॉलर से भी ऊपर पहुंच सकती है, जिससे वह जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) समेत कई एजेंसियों ने भारत की विकास दर इस वर्ष 6.3 से 6.7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जताया भरोसा, भारत की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था
देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने हाल ही में प्रेस वार्ता में कहा कि भारत इस वित्त वर्ष में जापान की अर्थव्यवस्था को पार करने के करीब है। उन्होंने बताया कि जापान की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 4.19 ट्रिलियन डॉलर (358 लाख करोड़ रुपये) है, जबकि भारत का चालू मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अभी लगभग 3.9 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है। भारत की विकास दर जापान की तुलना में बहुत अधिक है, जिससे आने वाले महीनों में भारत जापान को पीछे छोड़ सकता है।
जीडीपी विकास दर में निरंतर सुधार, निजी खर्च में बढ़ोतरी
गत वित्त वर्ष में भारत की GDP विकास दर चालू मूल्य पर 9.8 प्रतिशत रही, जबकि चालू वित्त वर्ष में इसे 10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। इससे देश की अर्थव्यवस्था का कुल आकार 363 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। वहीं, निजी खर्च में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष निजी उपभोग खर्च की बढ़ोतरी दर 5.6 प्रतिशत थी, जो अब 7.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी, निर्माण क्षेत्र में बढ़ोतरी
भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी सुधार देखने को मिला है। जनवरी से मार्च तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग की विकास दर 4.8 प्रतिशत रही, जो पिछले तिमाहियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन है। इसके अलावा, निर्माण क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है और इस क्षेत्र में विकास दर जनवरी-मार्च में 10.8 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो कि इससे पहले की तिमाहियों की तुलना में अधिक है।
वैश्विक जोखिम और निवेश पर नजर
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह भी कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और वित्तीय बाजारों की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए देश को सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि देश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ाने के लिए प्रयास करना होगा। भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है और निजी निवेश में भी निश्चित रूप से वृद्धि होगी।
भारत की यह प्रगति न केवल आर्थिक विकास का परिचायक है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने का भी संकेत देती है। आने वाले वर्षों में भारत के लिए विकास की संभावनाएं और भी व्यापक होंगी, जिससे देश का आर्थिक स्वरूप और भी सुदृढ़ होगा।