अमेरिका-चीन टकराव बना भारत के लिए मौका
टैरिफ युद्ध से बदला व्यापार का रुख
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध का अप्रत्यक्ष फायदा भारत को मिलता दिखाई दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर भारी शुल्क लगा दिया। इस स्थिति में अमेरिकी कंपनियों ने विकल्प के तौर पर भारत की ओर रुख किया और भारतीय निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई।
अप्रैल-जून तिमाही में उछाल
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका को होने वाला भारतीय निर्यात 22.18% तक बढ़ गया है। वहीं, चीन को होने वाले निर्यात में भी 17.87% का इज़ाफा देखने को मिला है। यह दर्शाता है कि भारत ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को अपने पक्ष में बदलने में कामयाबी पाई है।
अमेरिका ने चीन पर बढ़ाया शुल्क
अप्रैल 2025 में अमेरिका ने स्पष्ट किया कि चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर 30% तक का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा, जबकि अन्य देशों पर केवल 10% तक शुल्क की योजना है। इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ भारत को मिला क्योंकि अमेरिकी कंपनियों ने विकल्प के रूप में भारत से आयात करना शुरू किया।
इन क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा निर्यात बढ़ा
निर्यात के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि कुछ खास सेक्टरों में भारत की पकड़ और मजबूत हुई है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 47% की जबरदस्त वृद्धि देखी गई।
- फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात में 5.95% की बढ़ोतरी हुई।
- इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यात में 1.35% इज़ाफा दर्ज हुआ।
- रेडीमेड गारमेंट्स में 1.23% की हल्की बढ़त मिली।
हालांकि, कुछ सेक्टर्स में गिरावट भी देखने को मिली:
- लेदर और लेदर गुड्स के निर्यात में 0.59% की कमी आई।
- जेम्स और ज्वैलरी के निर्यात में सबसे बड़ी गिरावट हुई, जो 20.43% रही।
क्यों भारत बना पसंदीदा विकल्प?
भारत की स्थिर राजनीतिक स्थिति, मजबूत मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम और कुशल श्रम बल की वजह से दुनिया के बड़े आयातक देश अब भारत को एक भरोसेमंद व्यापारिक भागीदार मानने लगे हैं। चीन पर अमेरिकी निर्भरता घटाने के उद्देश्य से भारत जैसे देशों को नई संभावनाएं मिल रही हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संघर्ष से भले ही वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हो, लेकिन भारत के लिए यह एक सुनहरा अवसर साबित हो रहा है। अगर सरकार और निर्यातक मिलकर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ते हैं, तो भारत आने वाले समय में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर एक मजबूत कदम रख सकता है।