जल्द बनेगा भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान को पछाड़ने को तैयार
भारत वैश्विक आर्थिक मंच पर एक और बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है। 2025 के अंत तक भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हालिया रिपोर्टों में कहा गया है कि देश की जीडीपी 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी, जो जापान की अनुमानित 4.186 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी से ज्यादा होगी।
भारत की तेज रफ्तार विकास दर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले दो वर्षों में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल करने वाला दुनिया का एकमात्र प्रमुख देश होगा। यह लगातार दूसरी बार है जब भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला देश बताया गया है।
जापान को मिलेगी कड़ी चुनौती
जापान, जो फिलहाल चौथे स्थान पर है, आने वाले वर्षों में धीमी वृद्धि दर का सामना करेगा। 2025 और 2026 में जापान की विकास दर केवल 0.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में भारत के पास उसे पीछे छोड़ने का बेहतरीन अवसर है।
2028 तक तीसरे स्थान पर पहुंचने का लक्ष्य
रिपोर्ट बताती है कि अगर भारत इसी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा, तो 2028 तक भारत की जीडीपी 5.584 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। यह आंकड़ा जर्मनी की अनुमानित 5.251 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी से अधिक होगा, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
अमेरिका और चीन का स्थिति अनुमान
2025 के लिए अमेरिका की जीडीपी का अनुमान 30.507 ट्रिलियन डॉलर है, जिससे वह पहले स्थान पर बना रहेगा। वहीं चीन की जीडीपी 19.231 ट्रिलियन डॉलर मानी जा रही है, जिससे वह दूसरे स्थान पर रहेगा।
यूरोप की धीमी रफ्तार
रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप के कई देश धीमी आर्थिक विकास का सामना करेंगे।
- जर्मनी की 2025 में विकास दर 0% और 2026 में 0.9% रहने की उम्मीद है।
- यूरो क्षेत्र की औसत विकास दर 2025 में 0.8% रहेगी, जो 2026 में मामूली बढ़कर 1.2% हो सकती है।
- फ्रांस में अगले दो सालों में 0.6% और 1% की वृद्धि देखी जा सकती है।
- ब्रिटेन की वृद्धि दर 1.1% और 1.4% रहने की संभावना है।
स्पेन रहेगा यूरोप का चमकता सितारा
यूरोपीय देशों में केवल स्पेन ऐसा देश होगा, जो 2025 में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ बेहतर प्रदर्शन करेगा। हालांकि, 2026 में इसकी रफ्तार 1.8 प्रतिशत तक धीमी हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत का यह आर्थिक सफर उसकी नीति, जनसंख्या लाभांश, और सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों का नतीजा है। अगर यह विकास दर बनी रही, तो भारत न केवल जापान और जर्मनी जैसे देशों को पीछे छोड़ेगा, बल्कि वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की दौड़ में भी मजबूत दावेदार बनकर उभरेगा।