राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने मंगलवार को अखिल-इस्लामी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के खिलाफ जारी जांच के तहत तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई तमिलनाडु में 11 स्थानों पर की गई। चेन्नई पुलिस ने इस संगठन के खिलाफ मामला दर्ज किया है, और इस सिलसिले में संगठन से जुड़े व्यक्तियों की खोज की जा रही है।
आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने जून में कट्टरपंथी संगठन से जुड़े दो व्यक्तियों को एक अलग मामले में गिरफ्तार किया था। हिज्ब-उत-तहरीर एक ऐसा संगठन है जिसका लक्ष्य भारत में इस्लामी खिलाफत की स्थापना करना है, और इसका नेटवर्क कई देशों में फैला हुआ है। आइए जानते हैं इस संगठन की स्थापना, इसके लक्ष्यों और इसके कार्य करने के तरीकों के बारे में।
हिज्ब-उत-तहरीर की स्थापना 1952 में यरुशलम में हुई और इसका मुख्यालय लंदन में है। यह संगठन यूरोप और दक्षिण एशिया सहित कई क्षेत्रों में फैला हुआ है, खासकर इंडोनेशिया में इसकी मजबूत उपस्थिति है। इसका प्राथमिक उद्देश्य एक इस्लामिक राष्ट्र की स्थापना करना और नास्तिक विचारों को समाप्त करना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हिज्ब-उत-तहरीर का नेटवर्क 50 से अधिक देशों में फैला है और इसके 10 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। यह संगठन कई देशों, जैसे कि चीन, जर्मनी, रूस, इंडोनेशिया, तुर्की, अरब और बांग्लादेश में प्रतिबंधित है।
हिज्ब-उत-तहरीर पर आरोप है कि यह अन्य धर्मों के युवाओं का धर्म परिवर्तन कराता है और उन्हें दूसरे धर्म की युवतियों को प्रेम जाल में फंसाने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, संगठन पर भड़काऊ भाषण देकर युवाओं को उकसाने और उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग देने के आरोप भी हैं। इसके साथ ही, इस पर लोगों का ब्रेनवॉश करने और जैविक हथियारों की ट्रेनिंग देने का भी संदेह है।