प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों के लिए दीवाली से पहले बोनस और महंगाई भत्ते (डीए) में वृद्धि की योजना बना रही है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, संबंधित फाइल तैयार की जा रही है। इस निर्णय का लाभ लगभग 8 लाख कर्मचारियों को मिलेगा, जबकि डीए वृद्धि के दायरे में 15 लाख राज्य कर्मी और शिक्षक शामिल होंगे।
डीए को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 54 प्रतिशत करने की तैयारी
डीए को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 54 प्रतिशत करने की तैयारी है, और इसके लाभ की गणना जुलाई से की जाएगी। बोनस की गणना बेसिक पे और डीए के आधार पर की जाती है, जिससे पिछले साल लगभग 7 हजार रुपये बोनस मिला था। नॉन गजेटेड अफसरों के लिए भी बोनस दिए जाने का प्रावधान है, जिससे कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
विधान परिषद सभापति के निर्देश पर शनिवार को बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों की समस्याओं पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या ने की।
बैठक में तदर्थ शिक्षकों के वेतन, तैनाती और शिक्षा मित्रों के मानदेय के मामलों पर सकारात्मक निर्णय लेने पर सहमति बनी। यह निर्णय तदर्थ शिक्षकों और शिक्षा मित्रों के लिए एक राहत की खबर है, जो लंबे समय से इन मुद्दों का समाधान चाह रहे थे।
हाल ही में आयोजित बैठक में, जिसमें उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या की अध्यक्षता में शिक्षकों के मुद्दों पर चर्चा हुई, तदर्थ शिक्षकों के वेतन और पेंशन को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए। शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह चंदेल और स्नातक विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने 9 नवम्बर 2023 के आदेश को वापस लेने की मांग की, जिससे तदर्थ शिक्षकों के वेतन में समस्या आ रही है।
विधायक ने बताया कि लगभग 1200 तदर्थ शिक्षक ऐसे हैं जिनका वेतन न्यायालय के निर्णय के अधीन है। उप मुख्यमंत्री ने एक माह के अंदर इस पर निर्णय लेने पर सहमति जताई।
इसके अलावा, बैठक में 22 मार्च 2016 के आदेश के तहत विनियमित शिक्षकों को पेंशन न देने का मुद्दा भी उठाया गया। विधायक ने बताया कि अर्हकारी सेवाएं जोड़ने का प्रस्ताव नकार दिया गया। इस पर भी उप मुख्यमंत्री ने एक महीने में निर्णय देने पर सहमति बनाई।
हाल की बैठक में शिक्षक नेताओं ने 1981 से 2020 तक के 40,000 शिक्षकों और कर्मचारियों की बिजलेंस (सर्तकता) जांच का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि केवल उन शिक्षकों को बुलाकर पूछताछ की जाए जिनकी शिकायत हुई है, ताकि अनावश्यक रूप से सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान न किया जाए। इस पर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) से पत्र जारी करने की भी मांग की गई।
इसके अलावा, एमएलसी ने राज्य शिक्षा सेवा चयन आयोग में सेवा सुरक्षा, दंड प्रक्रिया, निलंबन और अनुमोदन की नियमावली न बनाए जाने की समस्या को उठाया। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यह नियमावली बन रही है और इसमें चयन बोर्ड नियमावली-1998 की धारा 12, 18 और 21 को जोड़ने पर सहमति बनी। यह निर्णय शिक्षकों और कर्मचारियों के हित में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।