अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला का पहला संदेश, कहा- यहां खुद को बच्चे जैसा महसूस कर रहा हूं
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से अपना पहला संदेश धरती पर भेजा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से यह भावुक संदेश अपने स्पेसएक्स के ड्रैगन यान के माध्यम से भेजा। संदेश में शुभांशु ने लिखा, “आप सभी को अंतरिक्ष से नमस्कार। मैं यहां एक बच्चे की तरह हर चीज सीख रहा हूं। मुझे अंतरिक्ष यात्री संख्या 634 के रूप में चुना गया है, और यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”
अंतरिक्ष में 14 दिनों की रोमांचक यात्रा
शुभांशु शुक्ला ने बताया कि उनके आगे के 14 दिन बेहद रोमांचक और अद्भुत अनुभवों से भरे होंगे। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने पहली बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवेश किया, तो ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई अपने घर के दरवाजे खोलकर स्वागत कर रहा हो। वहां के दल के साथ मिलकर उन्हें बेहद आत्मीयता का अनुभव हुआ।
उन्होंने आगे कहा कि “जो भी व्यक्ति पृथ्वी से ऊपर अंतरिक्ष की दुनिया को देख पाता है, वह खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानता है।” यहां आकर उन्होंने पाया कि अंतरिक्ष का अनुभव उनकी कल्पनाओं से काफी अलग और गहरा है। वे वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान कार्यों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
अंतरिक्ष का अनुभव बताया अद्वितीय
शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष में आना उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने बताया कि यहां आकर उन्हें न केवल अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने का अवसर मिल रहा है, बल्कि वे खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से भी बेहतर महसूस कर रहे हैं। उन्होंने विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में टीम के साथ मिलकर काम करने की बात कही।
दूसरे भारतीय बने जो अंतरिक्ष पहुंचे
भारत के इतिहास में शुभांशु शुक्ला ऐसे दूसरे व्यक्ति हैं जिन्हें अंतरिक्ष में जाने का गौरव प्राप्त हुआ है। उनसे पहले राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष गए थे और उन्होंने वहां 8 दिन बिताए थे। अब शुभांशु लगभग 14 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर अपने मिशन को पूरा करेंगे। उनका यह सफर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए गर्व का क्षण है।
मुख्यमंत्री योगी ने की परिवार से मुलाकात
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष में जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके परिजनों से भेंट की। यह मुलाकात लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर हुई, जिसमें मुख्यमंत्री ने शुभांशु की माता आशा शुक्ला, पिता शंभू दयाल शुक्ला, बहन शुचि मिश्रा और भतीजे वैश्विक मिश्रा से शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने परिवार से शुभांशु की यात्रा और अनुभवों के बारे में बातचीत की और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
शुभांशु शुक्ला की इस उपलब्धि ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर छूने का अवसर दिया है। देशभर से उन्हें बधाइयों और शुभकामनाओं का सिलसिला जारी है।