अफगानिस्तान में भूकंप का तांडव: 1400 से ज्यादा की मौत
अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप की भीषण तबाही से जूझ रहा है। रविवार को आए भूकंप ने पूरे देश में तबाही मचाई और सोमवार को फिर से धरती हिली, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गईं। लगातार झटकों ने हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है और सैकड़ों गांव मलबे में तब्दील हो गए हैं।
सोमवार को फिर हिली धरती
सोमवार को आए भूकंप का केंद्र नांगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर से 34 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) के मुताबिक, इस बार भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई। इससे पहले रविवार देर रात भी तेज झटके आए थे, जिनकी वजह से अफगानिस्तान में भारी तबाही देखी गई।
रविवार को दो बार आया था भूकंप
रविवार को आए पहले भूकंप की तीव्रता 6.0 थी। इसका केंद्र जलालाबाद शहर से 27 किलोमीटर दूर और जमीन से सिर्फ 5 मील गहराई पर था। इसके करीब 20 मिनट बाद ही उसी इलाके में दूसरा भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 4.5 मापी गई और गहराई 10 किलोमीटर थी। इन दोनों झटकों ने मिलकर पूरे क्षेत्र में हाहाकार मचा दिया।
मौत और तबाही का आंकड़ा
अब तक भूकंप से 1400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। अकेले कुनार प्रांत में ही 1411 मौतों की पुष्टि हुई है। वहीं 5412 से ज्यादा घर या तो पूरी तरह ढह गए हैं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। कई परिवार मलबे में दब गए और पूरा गांव उजड़ गया।
सबसे ज्यादा नुकसान कुनार और नांगरहार में
कुनार और नांगरहार प्रांत इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पहाड़ी इलाकों से बड़े-बड़े पत्थर गिरने के कारण कई गांव पूरी तरह खत्म हो गए। कुनार के चॉकी, नुर्गल, नूरगल, सोकी, वाटपुर, मनोगी और चपादारे जिलों में तबाही का आलम है। वादिर, शोमाश, मसूद और अरीत गांवों में 90% से ज्यादा लोग मारे गए हैं। वहीं आंदरलाचक गांव में अकेले 79 लोगों की मौत हुई है।
मदद के लिए आगे आए देश
भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। कई देशों ने अफगानिस्तान की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। भारत ने काबूल और कुनार प्रांत में 1000 परिवारों के लिए टेंट और 15 टन खाद्य सामग्री भेजी है। वहीं संयुक्त अरब अमीरात समेत अन्य देशों ने भी मानवीय सहायता पहुंचानी शुरू कर दी है।
निष्कर्ष
अफगानिस्तान पहले से ही सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और अब भूकंप ने उसकी परेशानी और बढ़ा दी है। लगातार झटकों से हजारों परिवार उजड़ चुके हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका बनी हुई है। राहत सामग्री पहुंचने के बावजूद हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।