BJP Leadership में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी चर्चा
BJP Leadership ने महाराष्ट्र में सत्ता-साझाकरण और मंत्रिमंडल गठन पर चर्चा करने के लिए शिवसेना के एकनाथ शिंदे, भा.ज.पा. के देवेंद्र फडणवीस, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार के साथ एक बैठक बुलाई है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक के बाद ही किसी नाम की घोषणा की जाएगी।
फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं
बीजेपी के कई विधायकों ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन दिया है। सूत्रों के अनुसार, इस व्यवस्था के तहत एकनाथ शिंदे और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव है। हालांकि, शिवसेना के सूत्रों ने दावा किया कि इस मुद्दे पर पार्टी से कोई परामर्श नहीं लिया गया है, और शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद के लिए अभी तक कोई नाम तय नहीं किया है।
शिवसेना का रुख और मंत्रिमंडल चर्चा
शिवसेना के एक अन्य नेता ने कहा कि एकनाथ शिंदे की स्थिति अभी भी मजबूत है और मुख्यमंत्री पद के बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले कई दौर की चर्चाएं होंगी। बीजेपी नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता है कि शिंदे को नाराज न किया जाए, जो महायुति के चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।
सत्ता-साझाकरण और मंत्रिमंडल में समायोजन
बीजेपी नेतृत्व ने अपने सहयोगियों को यह आश्वासन दिया है कि उनकी चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाएगा, लेकिन पार्टी अपनी रुचियों को प्राथमिकता देने में कोई समझौता नहीं करना चाहती। इस दौरान बीजेपी को यह भी लगता है कि शिंदे अगर मुख्यमंत्री पद स्वीकार नहीं करते हैं, तो उनका छवि और बातचीत की ताकत और मजबूत होगी।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, शिंदे को मुख्यमंत्री बनने की बजाय फडणवीस का नाम प्रस्तावित करने की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा, बीजेपी यह चाहती है कि शिंदे की पार्टी को 12 मंत्री पद और अहम विभाग मिले। एनसीपी को 10 मंत्री पद मिलने की संभावना है।
शिवसेना की रणनीति और बीजेपी का सामना
शिवसेना का मानना है कि अगर शिंदे को मुख्यमंत्री पद से वंचित किया गया, तो उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी बीजेपी पर हमला करने का मौका पा सकते हैं। इसके अलावा, मराठा समुदाय के वोटों का समर्थन भी शिवसेना के पास है, जिसे बीजेपी को अपने पक्ष में लाने के लिए शिंदे की जरूरत है। शिवसेना का कहना है कि शिंदे ही वह नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर मराठा वोटों को अपना समर्थन दिलाया।