DHFL घोटाले में 5 साल का बैन, बड़े अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई
देश के वित्तीय इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक DHFL घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) से जुड़े पांच प्रमुख अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें अगले 5 साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। इन पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, धन के दुरुपयोग और खातों में हेराफेरी के आरोप साबित हुए हैं।
कार्रवाई के पीछे की वजह
जांच में पता चला कि DHFL के शीर्ष अधिकारियों ने फर्जी कंपनियों को लोन देकर फंड डायवर्ट किया और निवेशकों को गुमराह किया।
- निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल निजी हितों के लिए किया गया।
- हजारों करोड़ रुपये के फर्जी लोन पास किए गए।
- कंपनी के खातों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई।
कौन-कौन हुए बैन के दायरे में?
1. कपिल वधावन
DHFL के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर।
- फर्जी कंपनियों को लोन देकर फंड डायवर्ट करने के मुख्य आरोपी।
- बैंक धोखाधड़ी और फंड गबन का आरोप।
- ₹27 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का प्रतिबंध।
2. धीरज वधावन
कपिल वधावन के भाई और DHFL के सह-प्रमोटर।
- फर्जी लोन और बैंक धोखाधड़ी में सहयोगी।
- ₹27 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का बैन।
3. राकेश वधावन
वधावन परिवार के सदस्य और DHFL प्रमोटर।
- घोटाले में प्रत्यक्ष रूप से शामिल।
- ₹20.75 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का प्रतिबंध।
4. सारंग वधावन
वधावन परिवार के वरिष्ठ सदस्य।
- पूरे मामले में मौन समर्थन का आरोप।
- ₹20.75 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का बैन।
5. हर्षिल मेहता
DHFL के पूर्व सीईओ।
- कार्यकाल के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी लोन पास किए गए।
- ₹11.75 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का प्रतिबंध।
एक और नाम – CFO पर भी कार्रवाई
संतोष शर्मा
DHFL के पूर्व CFO।
- डेब्ट मैनेजमेंट में गंभीर लापरवाही।
- ₹12.75 करोड़ का जुर्माना और 3 साल का बैन।
नतीजा और आगे की प्रक्रिया
SEBI का यह कदम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए अहम माना जा रहा है। इस कार्रवाई के बाद, ये अधिकारी न तो स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर पाएंगे और न ही किसी लिस्टेड कंपनी में निदेशक पद संभाल सकेंगे। न्यायिक प्रक्रिया अभी जारी है और आने वाले समय में इस घोटाले से जुड़ी और भी जानकारियां सामने आ सकती हैं।