उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही, 30 सेकंड में उजड़ा धराली गांव
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में अचानक बादल फटने की घटना ने सबको हिला कर रख दिया। धराली गांव और हर्षिल घाटी में हुई इस आपदा ने भयंकर तबाही मचा दी। करीब 12,600 फीट की ऊंचाई पर यह बादल फटा, जिससे भारी बारिश, मलबा और विशाल पत्थर लगभग 43 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नीचे आए। इस विनाशकारी प्रवाह ने महज 30 सेकंड में धराली गांव को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।
30 सेकंड में जलप्रलय का तांडव
धराली गांव, जहां कभी घर, होटल और रेस्टोरेंट मौजूद थे, अब वहां केवल मलबा और तबाही की तस्वीरें दिख रही हैं। गांव के चारों ओर मलबे की नदी बह रही है। मानसून की बारिश इस कदर कहर बनकर बरसी कि गांव के लोग सोच भी नहीं पाए कि अगला पल उनका आखिरी हो सकता है।
खीरगंगा नाले ने बदला बहाव, बनी अस्थायी झील
धराली गांव और सुखी टॉप के पास खीरगंगा नाले में अचानक आई मलबे की बाढ़ ने नाले का बहाव बदल दिया। इसने भागीरथी नदी का प्रवाह भी रोक दिया, जिससे नदी के पास एक अस्थायी झील बनने लगी है। यह इलाका गंगोत्री धाम से महज 18 किलोमीटर दूर है। हर्षिल गांव में भारतीय सेना का एक कैंप भी मौजूद है, जो इस आपदा की चपेट में आ गया।
मलबे ने निगला 13.5 एकड़ क्षेत्र
जो मलबा पहाड़ों से आया, उसने 13.5 एकड़ का क्षेत्र अपने कब्जे में ले लिया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिखता है कि किस तरह मलबा सीधा न जाकर जगह-जगह टकराता हुआ तबाही मचाता गया। भागीरथी नदी में गिरते समय इस मलबे ने अपना रास्ता कई बार बदला और रास्ते में जो भी आया, उसे साथ बहा ले गया। इस दौरान हर्षिल हेलीपैड, सेना का बेस कैंप, धराली गांव और कल्प केदार मंदिर भी इसकी चपेट में आ गए।
बचाव कार्य में जुटी सेना और राहत टीमें
प्राकृतिक आपदा के तुरंत बाद राहत कार्य शुरू कर दिए गए। भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत व बचाव का कार्य शुरू किया। अब तक 15 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि 4 शव बरामद किए गए हैं। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति मलबे में दबने के बावजूद जिंदा बच निकला। धराली गांव के लगभग 100 लोग अभी भी मलबे के नीचे दबे हैं, जिनके जीवित होने की संभावना बेहद कम बताई जा रही है।
200 से ज्यादा लोग मलबे में दबे
बताया जा रहा है कि 14 राजपूताना राइफल्स के जवान और हेलीपैड पर तैनात कुल 200 से अधिक लोग इस आपदा में फंसे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य तेज़ी से जारी है, लेकिन ऊंचाई, दुर्गम इलाका और भारी मलबा बचाव कार्य में बड़ी चुनौती बना हुआ है।
यह घटना एक बार फिर बताती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम का मिजाज कब कहर बन जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए अब सतर्कता और पूर्व तैयारी बेहद ज़रूरी हो गई है।