गुजरात में मनरेगा घोटाले को लेकर कांग्रेस नेता हिरासत में
गुजरात के भरूच जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत हुए एक बड़े घोटाले को लेकर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हीरा जोटवा को गिरफ्तार किया गया है। उनके साथ-साथ हांसोट तालुका में कार्यरत संविदा कर्मचारी राजेश टेलर को भी हिरासत में लिया गया है। गुरुवार रात दोनों से पूछताछ की गई और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
56 गांवों में 7.30 करोड़ रुपये का घोटाला
यह मामला तब सामने आया जब सहायक परियोजना प्रबंधक प्रतीक उदय सिंह चौधरी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने बताया कि भरूच जिले के आमोद, जंबूसर और हांसोट तालुकाओं के 56 गांवों में लगभग 7.30 करोड़ रुपये का गबन किया गया है। शिकायत के अनुसार मनरेगा योजना के अंतर्गत फर्जी बिलों और गलत दस्तावेजों के जरिए यह रकम निकाली गई।
दो फर्मों में साझेदार होने का आरोप
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इस घोटाले में इस्तेमाल की गई दो फर्मों में हीरा जोटवा की साझेदारी है। दस्तावेजों की पड़ताल और जांच के बाद पुलिस ने उनकी भूमिका को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए गिरफ्तारी की। राजेश टेलर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिसके बाद उसे भी हिरासत में लिया गया। दोनों से लगातार पूछताछ जारी है और सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में कई और लोगों की गिरफ्तारी संभव है। कुछ स्थानीय नेताओं और अधिकारियों के नाम भी जांच के घेरे में हैं।
कांग्रेस का पलटवार, बताया राजनीतिक बदले की कार्रवाई
कांग्रेस पार्टी ने इस गिरफ्तारी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह पूरा मामला एक सोची-समझी रणनीति के तहत विपक्ष को दबाने की कोशिश है। कांग्रेस ने इसे स्पष्ट रूप से राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई बताया है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने के बजाय विपक्ष के नेताओं को टारगेट कर रही है।
आगे बढ़ रही जांच, और नाम आ सकते हैं सामने
फिलहाल पुलिस की जांच कई अन्य फर्मों और उनके संचालकों पर केंद्रित है। तकनीकी टीम और दस्तावेज विश्लेषकों की मदद से आर्थिक लेन-देन की बारीकी से पड़ताल की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, और नाम सामने आ सकते हैं।
यह मामला न केवल मनरेगा योजना की निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीतिक पदों का इस्तेमाल कैसे निजी लाभ के लिए किया जा सकता है। पुलिस इस घोटाले की तह तक जाने की कोशिश में लगी है और सरकार ने भी साफ किया है कि दोषी चाहे कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा।