चीन की ‘रेयर चुंबक’ ने बढ़ाई भारत की ऑटो इंडस्ट्री की चिंता
भारत की ऑटो इंडस्ट्री एक नई चुनौती का सामना कर रही है, और इसका कारण बना है चीन का रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर लगाया गया सख्त निर्यात नियंत्रण। यह ‘रेयर चुंबक’ अब भारत की वाहन निर्माण कंपनियों के लिए परेशानी का कारण बन गई है, क्योंकि इसके बिना इलेक्ट्रिक मोटर्स समेत कई जरूरी तकनीकी पुर्जे तैयार नहीं किए जा सकते।
क्या है रेयर अर्थ मैग्नेट और इसकी अहमियत?
रेयर अर्थ मैग्नेट एक बेहद शक्तिशाली स्थायी चुंबक होता है जो मिश्रधातुओं से बनता है। इसे 1970 और 1980 के दशक में विकसित किया गया था और यह अन्य चुंबकों की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है। इसमें दो प्रमुख प्रकार होते हैं—नियोडिमियम (NdFeB) और सैमरियम कोबाल्ट (SmCo)। ये खासतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों, क्लीन एनर्जी उपकरणों और होम अप्लायंसेज में इस्तेमाल होते हैं।
चीन के नियम ने अटकाई सप्लाई
चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर सख्त नियम लागू किए हैं। अब कोई भी कंपनी बिना लाइसेंस और एंड यूज सर्टिफिकेट के इन चुंबकों को एक्सपोर्ट नहीं कर सकती। इसका असर भारत के वाहन निर्माताओं पर साफ़ दिखने लगा है। कई कंटेनर चीन के बंदरगाहों पर अटके हुए हैं, जिससे भारत में इन मैग्नेट्स का स्टॉक जल्द ही खत्म हो सकता है।
ऑटो सेक्टर में प्रोडक्शन पर संकट
भारतीय ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स और कंपनियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार से बात की है। अनुमान है कि मई के अंत तक रेयर अर्थ मैग्नेट्स का स्टॉक खत्म हो सकता है और जून की शुरुआत से उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है। इस संकट के कारण कंपनियों को अपने वाहन मॉडल्स का उत्पादन रोकना पड़ सकता है।
मारुति का आया बयान
मारुति के एक वरिष्ठ अधिकारी राहुल भारती ने कहा है कि ये पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, बल्कि सिर्फ एंड यूज सर्टिफिकेट की मांग की गई है। अगर भविष्य में कोई बड़ा असर हुआ तो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज समेत सभी संबंधित पक्षों को जानकारी देगी। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि कंपनी के पास कितने समय का स्टॉक बचा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की योजनाओं पर असर
इस नए नियम का सबसे ज्यादा असर इलेक्ट्रिक वाहनों पर पड़ सकता है। देश की प्रमुख कंपनियाँ जैसे मारुति और टीवीएस अपनी नई इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लॉन्चिंग की तैयारी में हैं। ऐसे में रेयर मैग्नेट्स की कमी उनकी योजनाओं को प्रभावित कर सकती है।
सरकार की सक्रियता
हेवी इंडस्ट्रीज मंत्री ने बताया है कि भारत सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और अगले 2–3 हफ्तों में एक प्रतिनिधिमंडल चीन भेजने की योजना है, ताकि इस मुद्दे पर समाधान निकाला जा सके।
चीन का वैश्विक दबदबा
चीन इस समय रेयर अर्थ मैग्नेट्स के 90% वैश्विक बाजार पर कब्जा रखता है, और इसका उत्पादन लगभग 1.4 लाख मीट्रिक टन सालाना है। अमेरिका दूसरे स्थान पर है लेकिन उत्पादन काफी कम होने से उसे भी ये मैग्नेट्स इंपोर्ट करने पड़ते हैं।
निष्कर्ष: भारत की ऑटो इंडस्ट्री को जल्द ही कोई वैकल्पिक समाधान खोजना होगा, वरना रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कमी से उत्पादन रुकने का खतरा लगातार मंडरा रहा है।