छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल: कामकाज ठप, रखी गईं 11 बड़ी मांगें
छत्तीसगढ़ में आज सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल करने का ऐलान किया है। इस वजह से पूरे राज्य में सरकारी विभागों का कामकाज प्रभावित हो सकता है। यह हड़ताल छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले की जा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए हैं।
क्यों कर रहे हैं कर्मचारी हड़ताल?
कर्मचारियों ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर यह कदम उठाया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार लंबे समय से उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है। अब मजबूरन उन्होंने कामकाज छोड़कर सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है।
प्रमुख मांगें
हड़ताल की मुख्य मांगों में महंगाई भत्ता (DA) को केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के समान तिथि से लागू करना शामिल है। साथ ही कर्मचारियों ने यह भी मांग की है कि बकाया डीए एरियर्स की राशि उनके GPF खाते में समायोजित की जाए।
वेतनमान और वेतन विसंगतियां
कर्मचारी चार स्तरीय समयमान वेतनमान की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, लिपिकों, शिक्षकों, स्वास्थ्य विभाग और महिला-बाल विकास विभाग समेत अन्य संवर्गों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर भी जोर दिया जा रहा है।
सेवा लाभ और नियमितीकरण
फेडरेशन ने यह मांग की है कि कर्मचारियों को प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना कर संपूर्ण सेवा लाभ दिया जाए। पंचायत सचिवों का शासकीयकरण और सहायक शिक्षकों व सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान देने की भी मांग सूची में शामिल है।
नगरीय निकाय और संविदा कर्मचारी
नगरीय निकाय के कर्मचारियों को नियमित मासिक वेतन और समय पर पदोन्नति देने की मांग भी उठाई गई है। वहीं, दैनिक वेतनभोगी, अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की मांग को भी फेडरेशन ने अपनी प्राथमिकता में रखा है।
अन्य अहम मांगें
कर्मचारियों ने अनुकंपा नियुक्ति नियमों में 10 प्रतिशत सीलिंग को शिथिल करने और प्रदेश में कैशलेस मेडिकल सुविधा लागू करने की मांग रखी है। इसके साथ ही अर्जित अवकाश के नगदीकरण की सीमा 300 दिन तक बढ़ाने की भी मांग की गई है।
असर और निष्कर्ष
इस सामूहिक हड़ताल का असर राज्य के लगभग सभी विभागों में देखने को मिल रहा है। सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप पड़ने से आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।