कोविड अलर्ट: क्या बूस्टर डोज़ से नए वेरिएंट का असर होगा कम?
कोरोना वायरस एक बार फिर से धीरे-धीरे अपने पांव पसार रहा है। देश और दुनिया में कोविड के मामलों में फिर से वृद्धि देखी जा रही है। हालांकि, अभी इसे कोरोना की नई लहर नहीं कहा जा सकता, लेकिन लोगों के मन में चिंता बढ़ रही है कि क्या वैक्सीन लेने के बावजूद भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है? और क्या बूस्टर डोज़ से नए वेरिएंट्स के प्रभाव को रोका जा सकता है?
नए वेरिएंट्स ने बढ़ाई चिंता
कोरोना के चार नए वेरिएंट्स – NB.1.8.1, JN.1, XFG सीरीज़ और LF.7 – सामने आए हैं। ये सभी ओमिक्रॉन के ही सब-वेरिएंट माने जा रहे हैं। दुनिया के कई हिस्सों में इन वेरिएंट्स के चलते संक्रमण के केस बढ़ने लगे हैं। इस स्थिति में यह जानना जरूरी है कि क्या पहले की वैक्सीन और बूस्टर डोज इन पर असरदार हैं या नहीं।
डॉक्टर की राय में बूस्टर डोज़ क्यों जरूरी?
एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और जबड़े के ऑपरेशन विशेषज्ञ डॉ. अनुज कुमार का कहना है कि बूस्टर डोज़ का प्रभाव अब भी बना हुआ है। उनका कहना है कि पुराने वेरिएंट्स की तरह ही नए वेरिएंट्स पर भी वैक्सीन और बूस्टर डोज़ काम करते हैं। इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है और शरीर वायरस से मुकाबला कर पाता है। इसलिए सभी लोगों को कोविड टीकाकरण और बूस्टर डोज़ लेने की सलाह दी जाती है।
किन लोगों को लेनी चाहिए बूस्टर डोज़?
डॉक्टर के अनुसार, 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को विशेष रूप से बूस्टर डोज़ लेनी चाहिए। इसके अलावा, जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, या अन्य पुरानी बीमारियाँ हैं, उन्हें भी यह डोज़ अवश्य लेनी चाहिए। जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उनके लिए भी यह डोज़ बेहद जरूरी मानी गई है।
बूस्टर डोज़ से कितना कम होता है संक्रमण का खतरा?
विशेषज्ञ बताते हैं कि बूस्टर डोज़ से संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति को जल्दी कोई गंभीर संक्रमण नहीं होता। यह डोज़ शरीर को वायरस से लड़ने के लिए बेहतर तरीके से तैयार करती है।
क्या दोबारा ली जा सकती है बूस्टर डोज़?
डॉक्टर के अनुसार, बूस्टर डोज़ दोबारा भी ली जा सकती है। अगर पहली डोज़ को छह महीने से अधिक हो चुके हैं, तो दूसरी बूस्टर डोज़ लेने की सलाह दी जाती है। इसके लिए किसी विशेष कंपनी की वैक्सीन की जरूरत नहीं है – कोई भी मान्यता प्राप्त बूस्टर डोज़ ली जा सकती है।
निष्कर्ष:
कोविड के बढ़ते मामलों और नए वेरिएंट्स की मौजूदगी के बीच बूस्टर डोज़ एक प्रभावशाली सुरक्षा कवच के रूप में काम कर सकती है। खासकर उम्रदराज और बीमार लोगों के लिए यह जीवन रक्षक साबित हो सकती है। इसलिए समय पर टीकाकरण और बूस्टर डोज़ लेना बेहद जरूरी है।