ट्रांसजेंडरों के लिए बड़ी पहल: बना विशेष कल्याण बोर्ड, 30 हजार को मिलेगा सीधा लाभ
ओडिशा सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण और पुनर्वास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य में 16 सदस्यों वाला ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड गठित किया गया है जो अगले 3 वर्षों तक कार्य करेगा। यह बोर्ड हर 3 महीने में बैठक करेगा और शिक्षा, रोजगार, आवास और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं की निगरानी करेगा। साथ ही ट्रांसजेंडर समुदाय के मानवाधिकारों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा भी करेगा।
अधिसूचना में क्या कहा गया?
विकलांगजन सामाजिक सुरक्षा और अधिकारिता विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह बोर्ड ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और नियम 2020 के अंतर्गत गठित किया गया है। इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडरों के पुनर्वास और व्यापक कल्याण से जुड़े दिशा-निर्देश बनाना है।
बोर्ड में कौन-कौन होंगे शामिल?
बोर्ड की अध्यक्षता राज्य के सामाजिक सुरक्षा एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री करेंगे और विभाग के सचिव को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न विभागों जैसे स्वास्थ्य, पंचायती राज, शहरी विकास, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा से प्रतिनिधि, दो ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य, 3 जिला कलेक्टर, और 2 एनजीओ शामिल किए जाएंगे जो ट्रांसजेंडरों के हित में कार्यरत हैं।
गैर-सरकारी ट्रांसजेंडर सदस्यों के लिए पात्रता
बोर्ड में शामिल किए जाने वाले नॉन-ऑफिशियल ट्रांसजेंडर सदस्यों के लिए कुछ जरूरी शर्तें रखी गई हैं:
- जिला प्रशासन के साथ पंजीकृत होना चाहिए और पहचान पत्र होना चाहिए।
- आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए।
- किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
- ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कम से कम 5 वर्षों का कार्य अनुभव होना चाहिए।
बोर्ड के प्रमुख उद्देश्य
- शिक्षा, रोजगार, आवास और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं की देखरेख।
- ट्रांसजेंडर समुदाय की आवश्यकताओं को समझने के लिए सर्वेक्षण, रिसर्च और मूल्यांकन।
- ट्रांसजेंडरों के लिए पर्याप्त विकास योजनाएं और बजट सुनिश्चित करना।
- केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वयक की भूमिका निभाना।
- जिलों में चल रही योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करना।
30 हजार ट्रांसजेंडरों को मिलेगा लाभ
ट्रांसजेंडर समुदाय की लंबे समय से यह मांग रही थी कि उनके लिए एक स्थायी कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए। यह मांग अब पूरी हो गई है। यदि इस बोर्ड का संचालन सुचारु रूप से होता है तो करीब 30,000 ट्रांसजेंडरों को सीधे लाभ मिलेगा। यह बोर्ड न केवल उनकी सामाजिक स्थिति सुधारने में सहायक होगा, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से भी जोड़ने का कार्य करेगा।
यह पहल ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक सशक्तिकरण का रास्ता है जो उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करेगी।