Banking Law Amendment Bill 2024: सरकार का बड़ा कदम
लोकसभा में मंगलवार को Banking Law Amendment Bill 2024 को मंजूरी दे दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब सुरक्षित, स्थिर और स्वस्थ हो चुके हैं, और अब उन्हें अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए बाजार से फंड जुटाने में किसी सरकारी सहायता की जरूरत नहीं है। इस बिल को राजयसभा में भी जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और मुनाफा
वित्त मंत्री ने लोकसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान बताया कि 2023-24 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा कमाया और 2024-25 के पहले छह महीनों में यह आंकड़ा 85,520 करोड़ रुपये रहा। उन्होंने यह भी कहा कि अब सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभकारी हो गए हैं और बैंकों की कुल लाभप्रदता पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा रही है।
सरकारी कदमों से बैंकों की स्थिति में सुधार
2016 में जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का गैर-निष्पादित संपत्ति (GNPA) 14.5% तक पहुंच गया था, तब सरकार ने कई उपाय किए थे। इनमें बैंकिंग नियामक ढांचे को मजबूत करना, पुनर्प्राप्ति कानूनों में बदलाव, दिवाला और दिवालियापन से संबंधित कानून बनाना और सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी की स्थापना शामिल थे। इसके बाद से बैंकिंग क्षेत्र में सुधार हुआ और मार्च 2024 तक GNPA अनुपात घटकर 2.8% हो गया।
नामांकन की सुविधा और निवेशकों के लिए सुरक्षा
इस बिल के तहत अब बैंक खाता धारक अपने खातों में चार तक नामांकित व्यक्ति रख सकेंगे। वित्त मंत्री ने बताया कि जमाकर्ता अब विकल्प चुन सकेंगे कि वे एक साथ या क्रमिक रूप से नामांकित करें, जबकि लॉकर धारक केवल क्रमिक नामांकन कर सकेंगे।
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निदेशकों से संबंधित कर्ज पर सख्ती
बिल के एक और प्रस्तावित बदलाव के तहत, कंपनियों से संबंधित निदेशकों को दिए गए कर्ज पर अब नियम कड़े किए जाएंगे। “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के रिश्तेदारों को दिए जाने वाले कर्ज पर प्रतिबंधों को और कड़ा किया जाएगा। इसके अलावा, 1968 में निर्धारित 5 लाख रुपये की सीमा को अब बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया जाएगा।”
बैंकों की स्थिरता और भविष्य
सीतारमण ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने 2014 से बैंकों को स्थिर बनाए रखने के लिए बहुत सतर्कता से काम किया है। उन्होंने कहा, “भारत का बैंकिंग क्षेत्र हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम नहीं चाहेंगे कि एक भी बैंक संकट में पड़े।”
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बाजार से बांड और लोन के जरिए फंड जुटाकर अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं, बिना सरकार की मदद के। यह कदम दर्शाता है कि सरकार ने पिछले दस वर्षों में बैंकों को सुरक्षित, स्वस्थ और स्थिर बनाने के लिए जो प्रयास किए हैं, उनका सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगा है।