बांग्लादेश सेना ने म्यांमार में प्रस्तावित मानवीय गलियारे का कड़ा विरोध जताया
बांग्लादेश की सेना ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में प्रस्तावित मानवीय गलियारे (कॉरिडोर) की योजना का सख्त विरोध किया है। सेना ने साफ कहा है कि वह किसी भी ऐसे कदम का हिस्सा नहीं बनेगी जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बन सके। यह गलियारा मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार द्वारा प्रस्तावित है और अमेरिका के समर्थन से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जताई चिंता
ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल शफीकुल इस्लाम ने स्पष्ट किया कि सेना देशहित से जुड़े मामलों में कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि “सेना किसी भी गलियारे या ऐसे फैसले पर सहमति नहीं देगी जो राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डाले।” यह बयान सेना की स्पष्ट हठधर्मिता को दर्शाता है कि वे अपने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कड़ा रुख अपनाएंगे।
खूनी गलियारा: सेना प्रमुख का विरोध
इससे पहले 21 मई को सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान ने कमांडिंग अफसरों की बैठक में इस प्रस्तावित मानवीय गलियारे को ‘खूनी कॉरिडोर’ बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था। जनरल उज-जमान ने चेतावनी दी कि इस योजना में सेना को नजरअंदाज करना देश के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि “कुछ बाहरी लोग बिना देश की सुरक्षा को समझे फैसले ले रहे हैं, और संकट के समय वे देश छोड़ देंगे।” सेना का मुख्य कारण इस गलियारे में म्यांमार की सशस्त्र संघर्ष में शामिल गैर-राज्यीय समूह अराकान आर्मी की संभावित भागीदारी को लेकर है। उन्हें डर है कि इससे सीमा क्षेत्र अस्थिर हो सकते हैं और देश की सुरक्षा पर गंभीर खतरा आ सकता है।
रणनीतिकार खलीलुर रहमान और विवाद
इस योजना के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान को मुख्य रणनीतिकार माना जाता है। खलीलुर रहमान अमेरिका के नागरिक हैं और उनका कहना है कि यह कॉरिडोर न तो अमेरिका या चीन के दबाव में है और न ही कोई द्विपक्षीय दबाव इसके पीछे है, बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शन के तहत मानवीय सहायता के लिए बनाया जा रहा है। 21 मई को विदेश सेवा अकादमी में उन्होंने कहा कि सरकार इस गलियारे को केवल मानवीय उद्देश्य से देखती है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसके संबंध में बातचीत जारी है। हालांकि, सेना और कई राजनीतिक दल इस दावे से सहमत नहीं हैं।
राजनीतिक दलों का विरोध भी बढ़ा
इस विवाद में सेना के अलावा बांग्लादेश के कई प्रमुख राजनीतिक दल भी शामिल हो गए हैं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) समेत अन्य दलों ने भी इस गलियारे की योजना का विरोध किया है और सेना के रुख का समर्थन किया है। यह विवाद अंतरिम सरकार और सैन्य नेतृत्व के बीच बढ़ती अविश्वास और दूरी को उजागर करता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, बांग्लादेश की सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगी और बिना समन्वय के लिए लिए गए फैसलों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस गलियारे को लेकर बढ़ते तनाव ने देश की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। बांग्लादेश के लिए यह जरूरी है कि वह इस मामले में सभी पक्षों के बीच संतुलन बनाकर समाधान निकाले ताकि देश की सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे।