अमरनाथ यात्रा 2025: सुरक्षा में कोई चूक नहीं, सेना-पुलिस तैयार
अमरनाथ यात्रा इस बार 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी, यानी कुल 38 दिनों की यात्रा तय की गई है। यात्रा की अवधि पिछले साल के मुकाबले घटाई गई है, और इसी के मद्देनज़र इस बार का सिक्योरिटी प्लान बेहद सख्त और टेक्नोलॉजी आधारित बनाया गया है।
सीआरपीएफ, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त जिम्मेदारी
यात्रा के शांतिपूर्ण संचालन के लिए इस बार सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना मिलकर मोर्चा संभालेंगी। पिछले साल की तुलना में इस बार सुरक्षा बलों की संख्या में भारी इजाफा किया गया है। हर श्रद्धालु को यात्रा के दौरान कई स्तरों की सुरक्षा जांच से गुजरना होगा।
हर रूट की होगी डिजिटल मैपिंग
सभी रूट्स की डिजिटल मैपिंग की जा चुकी है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत नज़र रखी जा सके। इस तकनीक के ज़रिए सुरक्षा एजेंसियां यात्रा मार्ग के हर कोने पर पैनी निगाह रखेंगी।
डिजिटल पहचान पत्र अनिवार्य
श्रद्धालुओं और पोनी राइडर्स के लिए इस बार डिजिटल पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। बिना वैध पहचान पत्र के यात्रा करना संभव नहीं होगा। यात्रियों को पहले से ही इसकी सूचना दी जा चुकी है ताकि अंतिम समय पर किसी को परेशानी न हो।
जैमर और हाईटेक सुरक्षा उपकरणों की तैनाती
अमरनाथ यात्रा से जुड़े सभी नेशनल हाईवे और रूट्स को यात्रा के समय ब्लॉक किया जाएगा। साथ ही, इस बार पहली बार सभी रूटों पर जैमर लगाए जाएंगे ताकि किसी भी तरह की इलेक्ट्रॉनिक गतिविधि को नियंत्रित किया जा सके।
हाईटेक फोर्स का मजबूत इंतज़ाम
यात्रा मार्ग पर CAPF की टीमें, ड्रोन निगरानी, बम डिस्पोज़ल यूनिट, क्विक रिएक्शन टीम (QRT), डॉग स्क्वॉड और PCR वैन हर वक्त मुस्तैद रहेंगी। इस बार कुल 581 कंपनियों को ड्यूटी पर लगाया गया है।
निष्कर्ष
हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं, लेकिन इस बार कम अवधि के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था कहीं ज्यादा कड़ी और तकनीकी रूप से उन्नत की गई है। सरकार और सुरक्षाबलों की कोशिश है कि यात्रा पूरी तरह सुरक्षित, व्यवस्थित और भक्तिपूर्ण हो। श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें और यात्रा से पहले डिजिटल पहचान पत्र बनवा लें।