अडाणी समूह ने चलाया ‘ऑपरेशन जेपेलिन’, इजराइली खुफिया एजेंसी की मदद से हिंडनबर्ग रिसर्च पर किया काउंटर अटैक
अडाणी समूह ने अपनी छवि को सुधारने और हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों का काउंटर अटैक करने के लिए ‘ऑपरेशन जेपेलिन’ नामक एक व्यापक अभियान शुरू किया। इस ऑपरेशन में इजराइली खुफिया एजेंसी के सहयोग से गोपनीय रूप से हिंडनबर्ग रिसर्च की गतिविधियों की जांच की गई, जिससे यह पता चला कि इस रिपोर्ट के पीछे वैश्विक एजेंसियों और राजनीतिक हस्तियों का हाथ था।
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों का काउंटर
जनवरी 2023 में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें समूह को “कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा” बताया गया था। रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई और समूह का मूल्य 150 बिलियन डॉलर से अधिक घट गया। लेकिन अडाणी समूह ने अपनी स्थिति को जल्द ही मजबूत किया और इसके लिए उन्होंने ऑपरेशन जेपेलिन के माध्यम से काउंटर अटैक किया। इस ऑपरेशन का उद्देश्य हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का जवाब देना और उनकी विश्वसनीयता को चुनौती देना था।
इजराइली खुफिया एजेंसी से सहयोग
ऑपरेशन जेपेलिन के तहत अडाणी समूह ने न केवल कानूनी और पब्लिक रिलेशंस रणनीतियों का इस्तेमाल किया, बल्कि हिंडनबर्ग रिसर्च की गुप्त जांच भी शुरू की। इस जांच में इजराइली खुफिया एजेंसी की मदद ली गई, जिसने हिंडनबर्ग के प्रमुख नाथन ‘नेट’ एंडरसन और उनकी टीम की गतिविधियों पर निगरानी रखी। इस ऑपरेशन के दौरान यह सामने आया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कई वैश्विक एजेंसियां और राजनीतिक हस्तियां शामिल थीं, जो विशेष रूप से चीनी और अमेरिकी हितों से जुड़ी हुई थीं।
इजराइल के हैफा बंदरगाह सौदे में संकट
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के प्रभाव से पहले अडाणी समूह का एक महत्वपूर्ण सौदा संकट में आ गया था। अडाणी समूह ने इजराइल के हैफा बंदरगाह को खरीदने के लिए 1.2 बिलियन डॉलर का सौदा किया था, लेकिन रिपोर्ट के बाद इस सौदे पर संदेह जताया गया। हालांकि, अडाणी ने इस मामले में इजराइल में मौजूद अधिकारियों को स्पष्ट किया कि यह आरोप “पूरा झूठ” था और कोई संदेह नहीं है।
कानूनी कार्रवाई और मुकदमा
अडाणी समूह ने अपनी रणनीति को और मजबूत करते हुए भारी कर्ज को चुकता किया, प्रमोटर और निवेशकों से पूंजी जुटाई, और समूह के मूल व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, अडाणी समूह ने 2024 के अंत तक अपनी कानूनी कार्रवाईयों को तेज किया और हिंडनबर्ग रिसर्च पर अमेरिका में मुकदमा दायर किया। यह कदम अडाणी समूह के लिए एक और मजबूती साबित हुआ, क्योंकि उन्होंने साबित कर दिया कि वे किसी भी संकट का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
अडाणी समूह की मजबूत वापसी
ऑपरेशन जेपेलिन की पूरी प्रक्रिया अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक साहसिक और प्रभावी काउंटर रणनीति के रूप में इतिहास में दर्ज होगी। अडाणी समूह ने इस रणनीतिक कदम के माध्यम से न केवल अपनी छवि को बहाल किया, बल्कि उन्हें वैश्विक मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया। इस पूरी प्रक्रिया ने अडाणी समूह की वापसी को एक मजबूत उदाहरण बना दिया है, जो व्यापार, कूटनीति और साइबर रणनीति का मिश्रण था।
अडाणी समूह की यह मजबूत वापसी संभवतः कॉर्पोरेट दुनिया में सबसे मजबूत वापसी के रूप में याद की जाएगी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के दो साल बाद, अडाणी ने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।