30 दिन हिरासत में रहने पर छोड़ना होगा पद
भारत के संविधान में अब बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। अनुच्छेद 75 और अनुच्छेद 164 में नए उपबंध जोड़े जाएंगे, जिनके अनुसार अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री लगातार 30 दिनों तक पुलिस हिरासत में रहता है तो उसे 31वें दिन अपने पद से मुक्त कर दिया जाएगा। यह प्रावधान इसलिए लाया जा रहा है ताकि गंभीर आरोपों में फंसे हुए नेता सत्ता में बने न रहें।
क्या है नया प्रावधान?
अनुच्छेद 75 में उपबंध 5 के बाद नया उपबंध 5(A) जोड़ा जाएगा। इसके तहत यदि कोई मंत्री 30 दिन तक हिरासत में रहता है और उस पर ऐसा अपराध दर्ज है, जिसमें पांच साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, तो 31वें दिन उसे पद छोड़ना होगा। यह निर्णय प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति करेंगे। अगर प्रधानमंत्री ऐसी सलाह नहीं देते, तब भी वह मंत्री अपने आप ही पदमुक्त हो जाएगा।
प्रधानमंत्री पर भी होगा लागू
यह नियम केवल मंत्रियों पर ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा। अगर प्रधानमंत्री गिरफ्तार होते हैं और 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं तो 31वें दिन वे स्वतः ही पद से हटा दिए जाएंगे। हालांकि इसमें ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है कि रिहा होने के बाद वह व्यक्ति दोबारा प्रधानमंत्री या मंत्री न बन सके।
अनुच्छेद 164 में बदलाव
अनुच्छेद 164 में उपबंध 4 के बाद नया उपबंध 4(A) जोड़ा जाएगा। इसमें कहा गया है कि अगर कोई राज्य मंत्री 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल उसे पद से मुक्त कर देंगे। अगर मुख्यमंत्री सलाह नहीं देते तो भी 31वें दिन वह मंत्री स्वतः ही पद से हटा दिया जाएगा। यही नियम मुख्यमंत्री पर भी लागू होगा। अगर खुद मुख्यमंत्री ही हिरासत में होगा तो 31वें दिन उसे भी पद छोड़ना होगा।
क्यों लाए जा रहे हैं ये नियम?
इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य सरकार में ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ाना है। यदि कोई बड़ा नेता गंभीर अपराध में फंसकर लंबे समय तक जेल में है तो वह जनता की भलाई के फैसले लेने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता। इससे जनता का भरोसा भी प्रभावित होता है। नए नियमों से यह सुनिश्चित होगा कि सरकार में केवल वही लोग रहें जिन पर जनता का विश्वास कायम हो।
निर्दोष साबित होने पर मिलेगा मौका
इन उपबंधों में यह भी ध्यान रखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति बाद में निर्दोष साबित हो जाता है तो उसे दोबारा वही पद संभालने का मौका मिल सकता है। इससे यह कानून संतुलित और न्यायसंगत बनता है।
आम जनता के लिए महत्व
ये प्रावधान आम लोगों के लिए बेहद अहम हैं। इनसे जनता का भरोसा बढ़ेगा कि सरकार में बैठे लोग नैतिक और जवाबदेह हैं। इससे नेताओं को भी चेतावनी मिलेगी कि अगर वे गंभीर मामलों में फंसे तो सत्ता से दूर होना तय है।
👉 यह कदम न सिर्फ शासन को साफ-सुथरा बनाएगा बल्कि लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करेगा। जनता को भी यह संदेश मिलेगा कि सत्ता में वही रह सकता है जो ईमानदार और जवाबदेह है।