गाजा में इजरायल के हमले के खिलाफ 23 देशों का दबाव, मुस्लिम देशों की गुमनामी
हाल ही में 23 देशों ने इजरायल पर गाजा में जारी सैन्य अभियान रोकने और मानवीय सहायता पर लगी पाबंदियां हटाने के लिए कड़ा दबाव बनाया है। ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा समेत ये देश संयुक्त बयान के जरिए इजरायल को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उसने अपने सैन्य ऑपरेशन बंद नहीं किए और मानवीय मदद में रुकावट नहीं हटाई तो वे कड़े कदम उठाएंगे। हालांकि इस लिस्ट में कोई भी मुस्लिम देश शामिल नहीं है, जो इस विवाद में एक बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है।
23 देशों का संयुक्त बयान और मांगें
इन देशों के नेताओं ने साफ कहा है कि गाजा में मानवीय स्थिति गंभीर है और वहां फंसी हुई जनता के लिए मदद पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने इजरायल से आग्रह किया है कि वह अपने सैन्य अभियान को तुरंत बंद करे और जरूरतमंदों तक राहत सामग्री पहुंचाने में मदद करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे संयुक्त रूप से कठोर कार्रवाई करेंगे। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, फिनलैंड, जापान, नीदरलैंड, स्वीडन और कई अन्य देश इस बयान में शामिल हैं।
मुस्लिम देशों की गैरमौजूदगी क्यों?
इस विवाद में यह बात खास तौर पर ध्यान खींचती है कि गाजा के मुद्दे पर आवाज उठाने वाले 23 देशों की सूची में कोई भी मुस्लिम देश शामिल नहीं है। हालांकि, मुस्लिम देशों ने भी अलग-अलग मंचों पर अपनी आपत्ति जताई है, लेकिन इस बयान में वे शामिल नहीं थे। यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि वैश्विक राजनीति में इस मुद्दे पर अलग-अलग रणनीतियां अपनाई जा रही हैं।
नेतन्याहू का जवाब और स्थिति
इजरायल के प्रधानमंत्री ने इस संयुक्त बयान को लेकर अपना जवाब दिया है। उनका कहना है कि ये देश उनसे उस लड़ाई को रोकने की मांग कर रहे हैं जो वे अपनी सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये देश फलस्तीन के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र की मांग भी कर रहे हैं, जबकि उनकी प्राथमिकता है कि हमास आतंकवादियों को खत्म किया जाए। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि युद्ध तभी खत्म होगा जब बचे हुए बंदियों को छोड़ दिया जाए, हमास हार स्वीकार करे और गाजा से सभी आतंकवादी सेना हट जाए।
गाजा का संकट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
गाजा की स्थिति इस समय बेहद नाजुक है। लाखों लोग युद्ध के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। खाद्य सामग्री, दवाइयों और अन्य जरूरी चीजों की भारी कमी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट को लेकर लगातार चिंता जता रहा है, लेकिन प्रभावी समाधान अभी तक सामने नहीं आया है। इस बीच, 23 देशों का यह संयुक्त बयान इजरायल पर दबाव बढ़ाने का एक कदम माना जा रहा है |