नई दिल्ली का गोल डाकघर (जीपीओ) एक ऐतिहासिक और व्यस्त स्थान है, जहां हर दिन कई लोग अपनी चिट्ठियां और पार्सल भेजने के लिए आते हैं। यहां की गहमा-गहमी की कल्पना करते ही एक जीवंत चित्र उभरता है, जिसमें विभिन्न काउंटरों पर लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। लोग यहां अपने गांवों के लिए मनीऑर्डर भेजने, स्पीड पोस्ट करने और अन्य डाक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आते हैं। विशेषकर बुजुर्ग लोग, जो अपनी खाता पासबुक के प्रिंट का इंतजार कर रहे हैं, इस डाकघर में एक विशेष स्थान रखते हैं।
गोल डाकघर, जिसे देश का पहला डाकघर माना जाता है, यहीं से पोस्ट ऑफिस पिन कोड की शुरुआत हुई थी। इसकी पहचान पिन कोड 110001 है, जो इसे विशेष बनाता है। यह डाकघर न केवल दिल्ली के नागरिकों के लिए, बल्कि उच्चतम अधिकारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों तक लोगों की फरियाद यहीं से पहुंचती है। यहां प्रधानमंत्री का पोस्ट बॉक्स भी है, जिससे पीएमओ की चिट्ठी सीधे उन तक पहुंचती है। इसके अलावा, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग और अन्य महत्वपूर्ण संस्थान भी इसी डाकघर के अंतर्गत आते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि गोल डाकघर हर दिन लगभग 30 हजार चिट्ठियां भेजता है। इसमें 15 हजार सामान्य डाक, लगभग 6 हजार रजिस्टर डाक और 9 हजार से अधिक स्पीड पोस्ट शामिल हैं। इन चिट्ठियों को समय पर पहुंचाने की जिम्मेदारी यहां के 100 पोस्टमैन पर है, जिनमें से 70 सामान्य डाक और 30 पार्सल के लिए कार्यरत हैं। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि इंटरनेट के युग में भी डाक सेवा ने अपनी उपयोगिता को बरकरार रखा है।
दिल्ली में कुल 96 डाकघर हैं, और हर पोस्ट ऑफिस में 20 से 30 सब डाक केंद्र होते हैं। ये डाकघर अब केवल पारंपरिक डाक सेवाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आधार अपग्रेडेशन, वित्तीय सेवाएं, और कई अन्य आधुनिक सुविधाओं में भी व्यस्त हैं। डाक विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ऑनलाइन डिलीवरी साइट्स भी भारतीय डाक सेवा का सहारा लेती हैं। विशेष रूप से दूरस्थ स्थानों की डाक या पार्सल भेजने के लिए, डाक सेवा की न्यूनतम कीमतें और तेज़ सेवा इसे एक लोकप्रिय विकल्प बनाती हैं।
गोल डाकघर की हेरिटेज बिल्डिंग अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। इसका डिजाइन रोबर्ट टोर रसेल ने किया था, और यह 1934 तक वायसराय का कैंप पोस्ट ऑफिस था। आजादी के बाद, 1948 में इसे प्रधान डाकघर का दर्जा मिला। संसद भवन और बंगला साहिब गुरुद्वारे के नजदीक स्थित, यह इमारत दिल्ली सरकार द्वारा संरक्षित इमारतों में सूचीबद्ध है। देश में लगभग 1,64,972 डाकघर हैं, जिनमें से करीब 1,50,000 गांवों में स्थित हैं।
गोल डाकघर में जब लोग चिट्ठी लेकर आते हैं, तो यह देखकर अच्छा लगता है कि संचार क्रांति के दौर में भी, लोग बधाई और निमंत्रण पत्रों को भेजने के लिए डाक सेवा का सहारा ले रहे हैं। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी चिट्ठी डाक करने आते हैं। खासकर ब्रेल लिपि में साहित्य केवल डाक सेवा से ही वितरित होते हैं।
सुभाष चंद शर्मा, जो नई दिल्ली जीपीओ के डिप्टी पोस्ट मास्टर डिलीवरी हैं, बताते हैं कि “दुनिया में भले ही संचार क्रांति का दौर है, लेकिन डाक सेवा की उपयोगिता आज भी बनी हुई है।” वीरेंद्र, एक पोस्टमैन, जो रोजाना एक हजार से अधिक चिट्ठी वितरित करता है, कहते हैं, “मुझे चिट्ठी देने में आनंद मिलता है। जब चिट्ठी मंत्री या अधिकारियों तक पहुंचती है, तो वह भी खुश होते हैं।” इसी तरह, अजय कुमार, जो विदेश मंत्रालय और पटियाला हाउस कोर्ट में चिट्ठी पहुंचाते हैं, का कहना है कि “चिट्ठी बांटना एक अलग सुख है।”
इस प्रकार, गोल डाकघर न केवल डाक सेवा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी प्रतीक है, जो चिट्ठी-पत्री के माध्यम से लोगों को जोड़ता है और संचार के एक पारंपरिक तरीके को बनाए रखता है।