Manipur के Imphal East में कुकी उग्रवादियों का हमला
मणिपुर के Imphal East जिले के मैतेई बहुल गांव सनासाबी में रविवार को Kukki militants ने हमला किया। पुलिस के अनुसार, हथियारबंद उग्रवादियों ने धान की कटाई कर रहे Maitei farmers पर पहले गोलीबारी की और फिर बम फेंके। इस हमले में BSF के एक जवान घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, और उनकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है। पुलिस और BSF की टीम मौके पर पहुंची और उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ हुई, जो करीब 40 मिनट तक चली।
मणिपुर में 3 दिन में 7 हमले
Manipur में 8 से 10 नवंबर के बीच हुई हिंसक घटनाओं में 7 हमले हुए। इन हमलों में एक BSF जवान घायल हुआ और 2 महिलाओं की मौत हुई। 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले में एक महिला की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि उसी दिन एक डॉक्टर को भी कुकी उग्रवादियों ने गोली मार दी। इस हिंसा में 10 नवंबर को इम्फाल ईस्ट के मैतेई गांव में फिर से बम फेंके गए, जिसमें BSF जवान भी घायल हुआ। इन घटनाओं ने मणिपुर में स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।
मैतेई किसान ने बम गिरने का बयान दिया
एक Maitei farmer ने बताया कि वह धान के खेत में घास इकट्ठा कर रहा था, तभी उसके पास एक बम गिरा। उन्होंने कहा कि कुकी उग्रवादियों ने उयोक चिंग मैनिंग (उयोक पहाड़ी) से हमला किया था। बम गिरने के बाद उग्रवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे किसान डरकर काम छोड़कर सुरक्षित जगह पर छिप गया। यह बयान स्थिति की भयावहता को दर्शाता है और Manipur के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए खतरे को उजागर करता है।
मणिपुर हिंसा के 500 दिन: जख्मी और विस्थापित लोग
मणिपुर में कुकी-मैतेई हिंसा को लगभग 500 days हो गए हैं। इस दौरान 237 लोगों की मौत हो चुकी है और 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 60,000 लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। इस हिंसा के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। वर्तमान में मणिपुर दो हिस्सों में बंट चुका है— पहाड़ी जिले कुकी बहुल हैं और मैदानी जिले मैतेई समुदाय के अधीन हैं। दोनों समुदायों के बीच सरहदें खींची जा चुकी हैं, जो पार करना जीवन के लिए खतरे की बात हो गई है।
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आइए समझते हैं मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर हिंसा की वजह: मैतेई और कुकी समुदायों का विवाद
Manipur में हिंसा की जड़ें मैतेई और कुकी समुदायों के बीच बढ़ते संघर्ष में हैं। मैतेई समुदाय ने मांग की है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए। उनका तर्क है कि 1949 में मणिपुर के भारत में विलय से पहले उन्हें ST का दर्जा मिला हुआ था। लेकिन कुकी और नगा समुदाय इसके खिलाफ हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा। मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 40 मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं, और यदि मैतेई को ST का दर्जा मिलता है तो यह उनके लिए राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन सकता है।
सियासी समीकरण: मणिपुर में सत्ता संघर्ष
मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं और 20 विधायक नगा और कुकी जनजाति से हैं। मणिपुर की राजनीति में मैतेई समुदाय का दबदबा है, लेकिन इन समुदायों के बीच बढ़ते विवाद ने राज्य की सियासत को भी प्रभावित किया है। अब तक राज्य में 12 मुख्यमंत्री रहे हैं, जिनमें से केवल दो ही मुख्यमंत्री जनजाति समुदाय से थे। इस राजनीतिक असंतुलन ने मणिपुर में हिंसा और असहमति को और बढ़ावा दिया है।