मसालों का राजा काली मिर्च की खेती (Black Pepper Farming) से किसान भी बन सकते हैं किंग, जानें खेती में किन बातों का रखें ध्यान
काली मिर्च, जिसे मसालों का राजा कहा जाता है, न केवल भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण घटक है, बल्कि विदेशों में भी इसकी भारी मांग है। इसके लाभकारी गुणों के कारण काली मिर्च की खेती (Black Pepper Farming) से किसान शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में काली मिर्च की सबसे ज्यादा खेती केरल में होती है, लेकिन अन्य राज्यों में भी इसका उत्पादन अच्छे स्तर पर होता है। आइए जानते हैं इस फसल की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
भारत में काली मिर्च का सबसे ज्यादा उत्पादन
भारत में काली मिर्च की खेती (Black Pepper Farming) का सबसे ज्यादा उत्पादन केरल में होता है, जहां लगभग 98 प्रतिशत काली मिर्च का उत्पादन होता है। इसके बाद कर्नाटक और तमिलनाडु में भी काली मिर्च का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में काली मिर्च की दुर्लभ किस्मों की खेती होती है।
Black Pepper Farming के लिए जरूरी बातें
- जलवायु और स्थान:
काली मिर्च की फसल के लिए अत्यधिक ठंडे या गर्म इलाकों की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, हवा में नमी का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे बेल का विकास तेजी से होता है। काली मिर्च के लिए वही जलवायु उपयुक्त होती है, जो सुपारी और नारियल की फसलों के लिए बेहतर मानी जाती है। किसान अपने क्षेत्र के वातावरण के अनुसार काली मिर्च की किस्म का चयन कर सकते हैं। - मिट्टी का चयन:
काली मिर्च की खेती के लिए मध्यम से भारी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल उन स्थानों पर अच्छे से उगती है, जहां सुपारी और नारियल की खेती की जाती है। - बेल का सहारा:
काली मिर्च की बेलों को ऊँचाई पर उगाने के लिए सहारे की जरूरत होती है। इसके लिए किसान लकड़ी का सहारा ले सकते हैं। बेलों की लंबाई को चार से पांच मीटर तक सीमित रखना चाहिए। अगर बेल ज्यादा लंबी हो जाए, तो किसान इसे आधार से काट सकते हैं। - छाया का ध्यान रखें:
काली मिर्च को छायादार स्थानों में उगाना चाहिए। आम के पेड़ों या नारियल और सुपारी के पेड़ों के नीचे काली मिर्च की बेलें लगाई जा सकती हैं। इससे बेल को पर्याप्त छांव मिलती है, जो इसके अच्छे विकास के लिए जरूरी है।
काली मिर्च की उन्नत किस्मे

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अगर आप काली मिर्च की खेती करना चाहते हैं, तो उन्नत किस्मों का चयन करना जरूरी है। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:
- श्रीकारा
- पंचमी
- पेयर मिरी अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित पेयर-1 और पेयर-4
- पूर्णिमा
इन किस्मों से बेहतर उत्पादन हो सकता है और किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है।
कुल मिलाकर, Black Pepper Farming किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प हो सकती है, बशर्ते वे सही तरीके से इसका पालन करें और उपयुक्त किस्मों का चयन करें। इसके अतिरिक्त, सही जलवायु, मिट्टी और सहारे का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।