हत्या की सूचना मिलते कुछ ही देर में छात्रावास खाली हो गया, जबकि दिल दहला देने वाली इस घटना के पीछे की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। पुलिस ने प्रबंधक और कुछ अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, और वे स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगा रहे हैं। कई अभिभावक अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाने से मना कर रहे हैं। वर्तमान में छात्रावास में 24 बच्चे रहते थे, लेकिन अब यह पूरी तरह से खाली हो चुका है। स्कूल बस या अन्य साधनों से आने वाले बच्चे भी स्कूल बंद होने पर लौट गए हैं।
पिता श्रीकृष्ण ने बताया कि रविवार रात 10 बजे उनकी कृतार्थ से फोन पर बात हुई थी, जो यह स्पष्ट करता है कि उसकी हत्या इसी के बाद हुई। संभवतः अन्य बच्चे सो रहे थे, इसलिए यह घटना हुई। परिवार का कहना है कि हत्या से किसी को लाभ नहीं था और वे किसी रंजिश से भी इनकार कर रहे हैं। हालांकि, शक की सुई स्कूल प्रबंधक की ओर इशारा कर रही है, क्योंकि हत्या के समय वह परिजनों को गुमराह कर यह बताता रहा कि कृतार्थ बीमार है।
कृतार्थ की हत्या की खबर पर परिवार में कोहराम मच गया, और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। शाम को पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही उसका शव गांव पहुंचा, परिवार में करुण-क्रंदन शुरू हो गया। उसके अंतिम संस्कार का माहौल गमगीन रहा।
कृतार्थ को चार सितंबर को बुखार आने पर घर लाया गया था। छात्रावास में रहते हुए उसे बुखार हुआ, जिसके बाद पिता श्रीकृष्ण ने उसे घर ले लिया। ठीक होने के बाद, उन्होंने उसे फिर से छात्रावास छोड़ दिया। पिता का कहना है कि उन्हें क्या पता था कि यह आखिरी बार होगा जब वे अपने बेटे से मिलेंगे। पूरा परिवार उसके लौटने का इंतजार कर रहा है, और अब वे उसकी मां से कैसे सामना करेंगे, यह सोचकर चिंतित हैं।
कृतार्थ के पिता ने बताया कि स्कूल प्रबंधक उन्हें दो घंटे तक गुमराह करता रहा। वह गाड़ी लेकर आगे-आगे भागता रहा, जबकि वे पीछे-पीछे थे। जब प्रबंधक पकड़ा गया, तो उसने कहा, “मुझे माफ कर दो।”
मृतक के पिता, श्रीकृष्ण, ने बताया कि उन्हें सुबह करीब पांच बजे प्रबंधक का फोन आया, जिसमें बताया गया कि कृतार्थ बीमार है। स्कूल और घर के बीच की दूरी केवल पांच किलोमीटर है। उन्होंने प्रबंधक से कहा कि वह पांच मिनट में स्कूल पहुंच रहे हैं, लेकिन प्रबंधक ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। वह लगातार उन्हें आगरा के टेढ़ी बगिया तक गुमराह करते रहे।
श्रीकृष्ण ने कहा कि वे अपनी गाड़ी तेज़ दौड़ाते रहे और प्रबंधक की गाड़ी में उनके बेटे का बैग रखा हुआ था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बच्चा बीमार था, तो बैग लेकर जाने का क्या मतलब था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधक और उसके लोग शव को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहे थे। कृतार्थ के गले पर भी चोट के निशान थे। अंततः, उन्होंने सुबह करीब सात बजे सादाबाद में प्रबंधक की गाड़ी को घेर लिया। जब वह गाड़ी से बाहर आया, तो वह शराब के नशे में था और कहने लगा, “मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दो।”
कृतार्थ के पिता, श्रीकृष्ण, नोएडा की ईम्गिस मल्टी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने बेटे को एक निजी स्कूल के हॉस्टल में पढ़ाने का निर्णय लिया था ताकि वह भी इंजीनियर बन सके। कृतार्थ ने 21 सितंबर को अपने पिता से फोन पे के माध्यम से 200 रुपये मांगे। जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की तैयारी की गई, तो पुलिस ने हंगामे की आशंका के चलते गाड़ी को रोक दिया, जिसके बाद मृतक के पिता और अन्य ग्रामीणों ने हंगामा किया और स्कूल प्रबंधक को सौंपने की मांग की।
तुरसेन के निवासी श्रीकृष्ण के दो बच्चे हैं—कृतार्थ, जो कक्षा दो में पढ़ता था, और छोटी बेटी युविका, जो एलकेजी में पढ़ रही है। कृतार्थ की असामयिक मृत्यु से परिवार में हाहाकार मच गया है, क्योंकि वह घर का इकलौता चिराग था। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल ने कहा कि कृतार्थ पिछले तीन साल से उनके स्कूल में पढ़ रहा था। उन्होंने दावा किया कि सोमवार सुबह योगा अध्यापक ने बच्चे की तबीयत खराब होने की सूचना दी थी, और वह उसे चिकित्सक के पास ले गए थे। बघेल के अनुसार, चिकित्सकों ने आगरा में कृतार्थ को मृत घोषित किया, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उनकी कहानी को खारिज कर दिया।
कृतार्थ के साथ छात्रावास में रहने वाले अन्य बच्चों ने बताया कि रात को उसने स्कूल के गेट से मोमोज और चाऊमीन मंगाए थे, जिन्हें उसने खाया और फिर सो गया। सुबह जब वह उनके साथ नीचे नहीं आया, तो बच्चों ने उसे जगाने की कोशिश की। जब वह नहीं उठा, तो उन्होंने अपने शिक्षक को इसकी जानकारी दी, जिन्होंने प्रबंधक को फोन कर सूचित किया। इसके बाद बच्चों को उसके बारे में कुछ नहीं पता चला।