बस्ती: महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में परशुरामपुर के रहने वाले सुरेंद्र कुमार (57) को भर्ती किया गया था। उन्हें पेट दर्द, गैस और मल की समस्या से जूझना पड़ रहा था। पहले से इलाज के लिए कई अस्पतालों का रुख करने के बावजूद राहत नहीं मिली। मेडिकल कॉलेज में जांच के दौरान पता चला कि छोटी और बड़ी आंत के जुड़ाव पर एक गांठ बन गई थी, जिससे खाना पच नहीं रहा था। आगे की जांच में यह भी पता चला कि गांठ ने कैंसर का रूप ले लिया था।स्थिति गंभीर देख सर्जन डॉ. डीके पाल की टीम ने ऑपरेशन करने का फैसला लिया।
तीन घंटे चला जटिल ऑपरेशन हुआ सफल
तीन घंटे की कड़ी मेहनत के बाद टीम ने जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। कैंसर प्रभावित गांठ को “डीटू राइट हेमीकोलेक्टोमी” प्रक्रिया से बाहर निकाला गया और फिर छोटी और बड़ी आंत को दोबारा जोड़ा गया। गांठ को आगे की जांच के लिए नोएडा लैब भेजा गया है। डॉ. डीके पाल ने बताया कि मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है। इस ऑपरेशन का निजी अस्पताल में खर्च करीब दो लाख रुपये होता, लेकिन मेडिकल कॉलेज में यह निशुल्क किया गया। मरीज को आगे कीमोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।इस ऑपरेशन में डॉ. विवेक सिंह, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. प्रतिभा गौड़, डॉ. अभिषेक बरनवाल, और स्टाफ नर्स उमा और कमला भी शामिल रहे।
जीवनशैली में बदलाव के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि
डॉ. डीके पाल ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि लाल मांस के अत्यधिक सेवन से आंतों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, मादक पदार्थों जैसे मदिरा और धूम्रपान के सेवन से भी कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है। डॉ. पाल ने सुझाव दिया कि भोजन में फाइबर की मात्रा अधिक होनी चाहिए, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहे। उन्होंने यह भी सलाह दी कि शरीर में किसी भी प्रकार की गांठ का पता चलते ही तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।