सहोरा गांव में बुधवार से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। मजार को क्षतिग्रस्त करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद हालात और बिगड़ गए। जब लोगों ने सुबह मजार का पुनर्निर्माण देखा, तो वे भड़क उठे और तेजी से सैकड़ों लोग मौके पर इकट्ठा हो गए। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी वहां पहुंचे, लेकिन भीड़ किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थी।
विवादित स्थल के चारों ओर पुलिस ने घेरा बना रखा था और पुलिस बल लोगों को रोकने की कोशिश कर रहा था। जब पुलिसकर्मी एक दिशा से भीड़ को खदेड़ते, तो दूसरी दिशा से लोग आगे बढ़ जाते। दोपहर करीब ढाई बजे, हाथ में लाठी-डंडे लिए लोग विवादित स्थान पर पहुंचे और दीवारों को तोड़ना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में दीवारें गिरा दी गईं।
इसके बाद, लोग मजार का ढांचा तोड़ने लगे, यह आरोप लगाते हुए कि शिवलिंग के ऊपर ही मजार बनाई गई थी। निर्माण ढहाने के बाद लोगों ने शिवलिंग की पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया, और गांव की कई महिलाएं भी वहां आ गईं। पूजा-पाठ के बाद, करीब चार बजे लोग अपने-अपने घरों को लौट गए, जबकि पुलिस बल वहां स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तैनात रहा।
दोनों पक्षों के बीच इस मामले को लेकर अलग-अलग दावे हैं। एक पक्ष का कहना है कि वहां मंदिर था, जबकि दूसरा पक्ष मजार होने का दावा कर रहा है। पहले पक्ष का कहना है कि मजार क्षतिग्रस्त होने के संबंध में बुधवार को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जबकि दूसरे पक्ष का आरोप है कि मजार को बनाने के लिए शिवलिंग को क्षतिग्रस्त किया गया।
एसपी ग्रामीण मनोज अवस्थी ने बताया कि विवादित भूमि पर कब्जे को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा था। बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे, जिसके बाद तत्काल पुलिस बल भेजा गया। एसडीएम, सीओ और अन्य अधिकारियों ने भीड़ को समझाकर वापस किया। उन्होंने कहा कि कानूनी कार्रवाई की जा रही है और मामले में लापरवाही पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सहोरा गांव में बवाल के बाद मेवाराम की तहरीर पर पुलिस ने 25 नामजद और 60-70 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। तहरीर में कहा गया है कि रात के समय दूसरे समुदाय के लोगों ने धार्मिक उन्माद फैलाने के इरादे से मंदिर में प्रवेश किया और शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया। जब मेवाराम, श्यामा और अन्य ने इसका विरोध किया, तो जान से मारने की नीयत से फायरिंग की गई, जिसमें वह बाल-बाल बच गए। इस दौरान उनकी चांदी की माला भी तोड़ी गई और दानपत्र लूटने के साथ-साथ तोड़फोड़ की गई।
इंस्पेक्टर सिंधौली की भूमिका बलवाइयों के पक्ष में बताई जा रही है। सूचना देने पर इंस्पेक्टर ने मंदिर पक्ष के लोगों को धमकाना शुरू कर दिया। पुलिस ने तहरीर के आधार पर रहिमान, रियाजुद्दीन, तौले, आजाद, शेर मोहम्मद, महबूब, आसीन, पप्पू, इजरायल, इसरत, फरियाद, मटरु, शकर अली, नासिर, नूर मोहम्मद, शेर मोहम्मद, मोहम्मदीन, इलियास, इकरार, ताज मोहम्मद, लाल उल्ला, यूसुफ भट्टा वाले, अलीम भट्टे वाले, हनीफ, जीशान सहित 60-70 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।