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बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कथा का गवाह : मांडू

Pariza Sayyed
Last updated: September 7, 2024 5:42 PM
Pariza Sayyed
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मांडू का इतिहास: एक अद्वितीय धरोहर

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित मांडू, भारतीय इतिहास और वास्तुकला की एक अनमोल धरोहर है। यह ऐतिहासिक नगर न केवल अपने स्थापत्य सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे छिपी ऐतिहासिक गाथाओं ने इसे और भी रोमांचक बना दिया है। मांडू की स्थापना और इसका समृद्ध इतिहास हमें प्राचीन भारत की सांस्कृतिक धरोहर और शाही वैभव की झलक प्रदान करता है।

प्रारंभिक इतिहास

मांडू का इतिहास गुप्त वंश के समय से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसका मूल नाम ‘मांडवगढ़’ था, जिसे कालांतर में मांडू कहा जाने लगा। यह क्षेत्र मालवा के पठार पर स्थित है और इसे प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करने वाली पहाड़ियों के बीच बसे होने के कारण ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता था।

परमार राजवंश का शासन

मांडू के प्रारंभिक इतिहास में परमार राजवंश का विशेष योगदान रहा। 10वीं शताब्दी में परमार राजाओं ने मांडू को अपनी राजधानी बनाया। राजा भोज के शासनकाल में यह क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए जाना जाता था। राजा भोज ने यहां अनेक स्थापत्य और साहित्यिक कार्य किए, जिससे मांडू का सांस्कृतिक महत्व बढ़ा।

दिल्ली सल्तनत और मांडू का महत्व

13वीं शताब्दी में, दिल्ली सल्तनत के विस्तार के दौरान मांडू पर अल्तमश ने विजय प्राप्त की। इसके बाद मांडू पर मुस्लिम शासकों का अधिकार हो गया। 1401 ईस्वी में दिलावर खां घोरी ने मांडू में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की, जो बाद में मालवा सल्तनत के रूप में प्रसिद्ध हुआ। दिलावर खां के पुत्र होशंग शाह ने मांडू को अपनी राजधानी बनाया। होशंग शाह के शासनकाल में मांडू ने स्थापत्य और कला के क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति की। इस दौर की सबसे महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है होशंग शाह का मकबरा, जो भारत की सबसे पुरानी संगमरमर की इमारतों में गिनी जाती है।

बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कथा

मांडू के इतिहास में बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कथा विशेष स्थान रखती है। बाज बहादुर मांडू के अंतिम स्वतंत्र शासक थे और उनकी प्रेम कहानी ने मांडू की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को और भी रोचक बना दिया है। रानी रूपमती, जो अपनी अद्वितीय सुंदरता और गायन कला के लिए जानी जाती थीं, के प्रति बाज बहादुर का प्रेम और उनकी कहानी आज भी मांडू की पहचान बनी हुई है। रानी रूपमती महल और बाज बहादुर का महल मांडू के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं और इनका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था।

मांडू की वास्तुकला

मांडू की वास्तुकला अद्वितीय है और इसमें अफगानी, राजपूत और मुस्लिम स्थापत्य कला का मिश्रण दिखाई देता है। यहाँ के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में जहाज़ महल, हिंडोला महल, जामी मस्जिद और अशर्फी महल शामिल हैं। इन इमारतों में मांडू के शासकों की कलात्मक दृष्टि और स्थापत्य कला के प्रति उनके प्रेम का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है।

  • जहाज महल: इस महल का निर्माण दो झीलों के बीच में किया गया है, जिससे यह एक जहाज़ के समान दिखाई देता है।
  • हिंडोला महल: अपनी झुकी हुई दीवारों के कारण यह महल हिंडोले के समान प्रतीत होता है, और इसकी अनूठी शैली पर्यटकों को आकर्षित करती है।

मांडू का पतन

1561 ईस्वी में अकबर के सेनापति आदम खां ने मांडू पर आक्रमण किया और बाज बहादुर को पराजित कर मांडू को मुगल साम्राज्य में मिला लिया। इसके बाद मांडू का वैभव धीरे-धीरे घटने लगा और यह मुगलों के अधीन एक साधारण प्रशासनिक केंद्र बन गया।

निष्कर्ष

आज मांडू अपने समृद्ध इतिहास और अद्वितीय स्थापत्य धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह नगर प्राचीन भारत की गौरवशाली संस्कृति, स्थापत्य कला, और शाही प्रेम कहानियों का सजीव उदाहरण है। मांडू का इतिहास हमें उस समय के महान शासकों, वास्तुकला और संस्कृति की झलक देता है, जो आज भी पर्यटकों को मोहित करता है।

प्रमुख दर्शनीय स्थल:

मांडू के प्रमुख दर्शनीय स्थल मांडू के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ इसके कई अद्भुत दर्शनीय स्थल हैं, जो इसकी भव्यता और स्थापत्य कौशल को प्रदर्शित करते हैं। ये स्थल मांडू की समृद्ध विरासत को जीवंत बनाए रखते हैं और देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ मांडू के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सूची दी जा रही है:

1. जहाज महल

जहाज महल मांडू का सबसे प्रसिद्ध स्थल है, जो दो झीलों – कापूर और मुंज तालाब – के बीच स्थित है। इसका निर्माण सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी के समय में हुआ था। महल का आकार एक जहाज की तरह दिखाई देता है, और इसका निर्माण इस प्रकार किया गया है कि यह पानी में तैरता हुआ प्रतीत होता है। इसे शाही हरम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, और इसके चारों ओर का परिदृश्य इसे और भी मनमोहक बनाता है।

2. रानी रूपमती महल

रानी रूपमती महल मांडू की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जो बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है। यह महल विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित है, जहाँ से नर्मदा नदी का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। यह महल रानी रूपमती के निवास के रूप में जाना जाता था, और यहाँ से उन्होंने नर्मदा नदी की पूजा की थी।

3. बाज बहादुर महल

रानी रूपमती महल के निकट स्थित यह महल बाज बहादुर का निवास था। इस महल की वास्तुकला में राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का अनूठा मिश्रण देखा जा सकता है। बाज बहादुर महल अपने अद्वितीय आंगन, सुंदर बगीचों और भव्य हॉलों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ से आसपास के पहाड़ियों का दृश्य बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।

4. होशंग शाह का मकबरा

मांडू का एक और प्रमुख स्थल होशंग शाह का मकबरा है, जिसे भारत की पहली पूर्ण संगमरमर की इमारत माना जाता है। यह मकबरा अफगानी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है और ताजमहल के निर्माण में भी इसकी शैली का अध्ययन किया गया था। इसकी सादगी और शुद्धता इसे मांडू की अन्य इमारतों से अलग बनाती है।

5. जामी मस्जिद

जामी मस्जिद मांडू की सबसे भव्य मस्जिदों में से एक है, जिसका निर्माण सुल्तान महमूद खिलजी ने करवाया था। इसकी स्थापत्य शैली तुर्की मस्जिदों से प्रेरित है। इसका विशाल आंगन, सुंदर गुम्बद और स्तंभों की श्रृंखलाएँ इसे वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना बनाती हैं। जामी मस्जिद मांडू के मुस्लिम शासकों की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।

6. हिंडोला महल

हिंडोला महल अपनी झुकी हुई दीवारों के कारण बेहद प्रसिद्ध है। इसका निर्माण मांडू के दरबार में बैठकों और मनोरंजन के लिए किया गया था। महल की दीवारें इस प्रकार बनाई गई हैं कि वे झूलते हुए प्रतीत होती हैं, इसीलिए इसे “हिंडोला महल” कहा जाता है। यह महल मांडू के स्थापत्य कला के अद्भुत कौशल को प्रदर्शित करता है।

7. नीलकंठ महल

नीलकंठ महल मांडू की पहाड़ियों पर स्थित एक शिव मंदिर है। यह महल एक पुराने जलाशय के पास स्थित है और यहाँ से घाटियों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। इसका निर्माण मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में हुआ था। मंदिर में शिवजी की पूजा की जाती है, और यह स्थल पर्यटकों के साथ-साथ तीर्थयात्रियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है।

8. अशर्फी महल

अशर्फी महल मांडू की सबसे प्रभावशाली इमारतों में से एक है। यह मूल रूप से एक मदरसा था, जो सुल्तान महमूद खिलजी के समय में शिक्षा के केंद्र के रूप में कार्य करता था। बाद में इसे विजय स्मारक के रूप में बदल दिया गया। महल की संरचना में ऊंची मीनारें और चौड़े आंगन हैं, जो उस समय की वास्तुकला की बारीकियों को प्रदर्शित करते हैं।

9. रेवा कुंड

यह जलाशय रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कथा से जुड़ा हुआ है। रेवा कुंड का निर्माण बाज बहादुर ने करवाया था ताकि रानी रूपमती यहाँ से नर्मदा नदी के जल का उपयोग कर सकें। आज भी यह स्थल मांडू के इतिहास और उसकी प्रेम कहानियों का प्रतीक है।

मांडू का हर एक दर्शनीय स्थल न केवल स्थापत्य कला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि यहाँ की प्राचीन संस्कृति और इतिहास का भी सजीव चित्रण करता है। मांडू का दौरा करना एक रोमांचक और सांस्कृतिक अनुभव है, जो इतिहास के विभिन्न पहलुओं से हमें रूबरू कराता है।

कब जाएँ मांडू:

अक्टूबर से मार्च का समय मांडू यात्रा के लिए सबसे अच्छा होता है, क्योंकि मौसम सुहावना रहता है और ऐतिहासिक स्थलों की सुंदरता का पूरा आनंद लिया जा सकता है। यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य का भी लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो मानसून के दौरान भी मांडू की यात्रा की जा सकती है।

स्थानीय भोजन:

मांडू की यात्रा के दौरान आप मालवा क्षेत्र के पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। यह क्षेत्र अपने विशेष भोजन और जायके के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें स्थानीय मसालों और पारंपरिक तरीकों से बनाए गए भोजन की महक होती है। मांडू और इसके आसपास के इलाके में आपको शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजन मिलेंगे। यहाँ कुछ प्रमुख स्थानीय व्यंजन दिए जा रहे हैं:

1. दाल बाटी

मालवा क्षेत्र का यह प्रमुख व्यंजन है। दाल बाटी में बाटी (गेहूं के आटे की लोइयां जिन्हें तंदूर या आग पर पकाया जाता है) और दाल (मूंग या तुवर की दाल) का स्वादिष्ट संयोजन होता है। इसे आमतौर पर घी और चटनी के साथ परोसा जाता है। यह मालवा और राजस्थान दोनों जगहों का खास व्यंजन है।

2. पोहा-जलेबी

मालवा के नाश्ते में “पोहा-जलेबी” बहुत लोकप्रिय है। पोहा (चिवड़ा) को हलके मसालों में पकाया जाता है और इसे हरी धनिया, प्याज और नींबू के साथ परोसा जाता है। इसके साथ मीठी और कुरकुरी जलेबी का आनंद लिया जाता है। यह मांडू और पूरे मध्य प्रदेश का एक आम और पसंदीदा नाश्ता है।

3. भुट्टे का कीस

यह मक्का (भुट्टा) से बना एक पारंपरिक मालवी व्यंजन है। भुट्टे का कीस कद्दूकस किए गए मक्के को मसालों, दूध और घी में पकाकर बनाया जाता है। इसका स्वाद हल्का मीठा और मसालेदार होता है, जो एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है। यह व्यंजन खासतौर पर मानसून के मौसम में लोकप्रिय होता है।

4. मालपुआ

मालपुआ मालवा क्षेत्र की एक प्रसिद्ध मिठाई है। इसे गेहूं के आटे, दूध और चीनी से बनाया जाता है और घी में तला जाता है। इसे विशेष अवसरों और त्योहारों पर बनाया जाता है। मांडू के स्थानीय मिठाई विक्रेताओं के यहाँ मालपुआ का विशेष स्वाद मिलता है।

5. रबड़ी

मालवा क्षेत्र में रबड़ी एक और लोकप्रिय मिठाई है। इसे दूध को धीमी आंच पर गाढ़ा करके तैयार किया जाता है और इसमें चीनी, इलायची और सूखे मेवे मिलाए जाते हैं। रबड़ी का स्वाद बेहद लाजवाब होता है और इसे ठंडा परोसा जाता है।

6. सुला करी

मांसाहारी व्यंजनों में “सुला करी” बहुत प्रसिद्ध है। यह एक प्रकार का मसालेदार व्यंजन है जिसमें भुने हुए मांस (आमतौर पर मुर्ग या मटन) को खास मालवी मसालों के साथ पकाया जाता है। इसे मांडू के स्थानीय रेस्टोरेंट और ढाबों में चखा जा सकता है।

7. बैंगन का भर्ता

मालवा क्षेत्र का एक और लोकप्रिय व्यंजन “बैंगन का भर्ता” है। बैंगन को आग पर भूनकर और मसालों के साथ पकाकर इसे तैयार किया जाता है। इसे आमतौर पर चपाती या रोटी के साथ खाया जाता है। भर्ते का स्वाद मसालों और बैंगन के अनूठे मिश्रण से आता है।

8. साबूदाना खिचड़ी

मालवा में व्रत के दौरान खाने के लिए “साबूदाना खिचड़ी” बहुत प्रसिद्ध है। साबूदाना (सागो) को भिगोकर मूंगफली, आलू और मसालों के साथ पकाया जाता है। यह एक हल्का और स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे स्थानीय लोग बड़े चाव से खाते हैं।

9. चक्की की शाक

यह एक विशेष मालवी व्यंजन है, जो गेहूं के आटे को उबालकर और फिर मसालों के साथ पकाकर बनाया जाता है। यह सब्ज़ी स्वाद में खास होती है और इसे चपाती या चावल के साथ परोसा जाता है।

10. मोती पुले (मोती पूल)

यह मक्के का आटा और चावल से बने लड्डुओं जैसा एक खास व्यंजन है। इसे त्योहारी समय पर बनाया जाता है और मालवा क्षेत्र में बड़े प्रेम से खाया जाता है।

मांडू का भोजन मालवा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यहाँ का स्थानीय भोजन मसालों, मिठाइयों और स्वादिष्ट व्यंजनों का अनूठा संगम है, जो आपकी यात्रा के अनुभव को और भी यादगार बना देता है।

मांडू का स्थानीय बाजार:

मांडू का स्थानीय बाजार अपनी ऐतिहासिक धरोहर, पारंपरिक शिल्पकला, और स्थानीय सांस्कृतिक वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के बाजारों में आपको मालवा की संस्कृति और कला की झलक मिलती है। मांडू में खरीदारी करना एक अनूठा अनुभव है, जहाँ आप ऐतिहासिक स्मृतिचिन्हों के साथ-साथ स्थानीय हस्तशिल्प और वस्त्र भी खरीद सकते हैं।

मांडू के प्रमुख स्थानीय बाजार:

1. मांडू का मुख्य बाजार

मांडू का मुख्य बाजार पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहाँ आप मालवा क्षेत्र के पारंपरिक हस्तशिल्प, वस्त्र, और सजावटी वस्तुएं खरीद सकते हैं। यह बाजार छोटे-छोटे दुकानों से भरा होता है, जहाँ स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित वस्त्र, आभूषण, और मिट्टी के बर्तन मिलते हैं।

  • खास वस्त्र: यहाँ आपको हाथ से बुनी हुई मालवी चादरें, पारंपरिक साड़ियों और दस्तकारी कपड़ों की बड़ी विविधता मिलेगी।
  • हस्तशिल्प: लकड़ी की नक्काशी, धातु के सजावटी सामान, और मिट्टी के बर्तन यहाँ के प्रमुख हस्तशिल्प हैं। यहाँ के कलाकार पारंपरिक शैली में वस्त्र और शिल्पकला का निर्माण करते हैं।

2. मांडू की स्थानीय दुकानें

मांडू के मुख्य स्थलों के पास छोटी-छोटी दुकानें होती हैं, जहाँ पर्यटकों के लिए स्थानीय स्मृति चिन्ह और सजावटी वस्तुएं उपलब्ध होती हैं। इनमें मांडू के ऐतिहासिक स्मारकों की लघु प्रतिकृतियाँ, काष्ठ कला की वस्तुएं और स्थानीय संस्कृति से जुड़ी अन्य वस्तुएं शामिल होती हैं।

  • स्मृति चिन्ह: मांडू के प्रसिद्ध स्थल जैसे जहाज महल, हिंडोला महल आदि की लघु प्रतिकृतियाँ आपको यादगार के रूप में मिल सकती हैं।
  • पारंपरिक आभूषण: आप स्थानीय शैली के पारंपरिक आभूषण और धातु की चूड़ियाँ खरीद सकते हैं, जो मालवा की शिल्पकला को दर्शाते हैं।

3. हाथ से बनी वस्त्रों की दुकानें

मालवा क्षेत्र अपने हाथ से बुने वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के स्थानीय बाजारों में हाथ से बनी साड़ियाँ, दुपट्टे, और चादरें बहुत लोकप्रिय हैं। ये वस्त्र पारंपरिक मालवी डिज़ाइन और रंगों से सजे होते हैं, जो मांडू की संस्कृति को दर्शाते हैं।

4. मिट्टी और धातु की हस्तशिल्प

मांडू के बाजारों में मिट्टी और धातु की हस्तशिल्प वस्तुएं भी प्रमुख रूप से मिलती हैं। यहाँ के कारीगर पारंपरिक तरीके से मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ और धातु के सजावटी सामान बनाते हैं। पर्यटक इन हस्तशिल्प वस्तुओं को खरीदते हैं क्योंकि ये मांडू की शिल्पकला की झलक देती हैं।

5. स्थानीय खाद्य उत्पाद

मांडू के बाजारों में स्थानीय खाद्य उत्पाद भी मिलते हैं, जैसे कि मालवा के प्रसिद्ध व्यंजन पोहा-जलेबी, मालपुआ, और अन्य मिठाइयाँ। यहाँ कुछ विशेष दुकानों में आप स्थानीय मिठाइयाँ और स्नैक्स खरीद सकते हैं, जो मांडू की यात्रा के दौरान आपकी स्वाद यात्रा को खास बनाएंगे।

6. मालवा की चाय की दुकानें

मांडू के बाजारों में स्थानीय चाय की दुकानें भी प्रसिद्ध हैं, जहाँ आप पारंपरिक मसाला चाय का स्वाद ले सकते हैं। ये दुकानें न सिर्फ आपको चाय का अद्भुत स्वाद देती हैं, बल्कि वहाँ का माहौल भी आपको स्थानीय संस्कृति के करीब ले जाता है।

7. स्थानीय हाट और साप्ताहिक बाजार

मांडू में स्थानीय हाट और साप्ताहिक बाजार भी लगते हैं, जहाँ ग्रामीण लोग अपने हस्तशिल्प, ताजे फल-सब्जियाँ और अन्य घरेलू सामान बेचते हैं। यह बाजार मांडू के ग्रामीण जीवन और सांस्कृतिक विविधता का असली प्रतिबिंब है।

मांडू का स्थानीय बाजार न केवल खरीदारी के लिए बल्कि यहाँ की समृद्ध संस्कृति और हस्तशिल्प की झलक पाने के लिए भी विशेष है। यहाँ के बाजार में आप मालवा की परंपरागत शिल्पकला, वस्त्र, और स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं, जो आपकी यात्रा को यादगार बना देंगे।

मांडू कैसे पहुँचें:

मांडू पहुँचने के लिए इंदौर हवाई मार्ग और रेलमार्ग द्वारा सबसे अच्छा कनेक्शन प्रदान करता है। इंदौर से आप टैक्सी या बस द्वारा मांडू तक आसानी से पहुँच सकते हैं। सड़क मार्ग से यात्रा करना भी एक अच्छा विकल्प है, खासकर अगर आप इंदौर, उज्जैन या भोपाल जैसे शहरों से आ रहे हैं।

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By Pariza Sayyed
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Pariza Sayyed, an accomplished content writer with a decade of experience, has established herself as a significant contributor to the digital content landscape. Her journey in content writing began in her hometown of Bhopal, Madhya Pradesh, India, and has since taken her to the bustling metropolis of Delhi, where she honed her skills and built a robust portfolio.
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