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खजुराहो के मंदिर: प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण…

Pariza Sayyed
Last updated: September 4, 2024 10:41 PM
Pariza Sayyed
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खजुराहो का मंदिर समूह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है, जिसमें हिंदू और जैन मंदिर शामिल हैं। यह स्थल झांसी से लगभग 175 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में स्थान दिया गया है। ये मंदिर अपनी नागर शैली की वास्तुकला और शिल्पकला में दर्शाए गए कामुक चित्रणों के लिए मशहूर हैं।

खजुराहो का इतिहास कला, संस्कृति और धार्मिक सहिष्णुता का अद्वितीय उदाहरण है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है और अपने शानदार मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का इतिहास मुख्य रूप से चंदेल वंश से जुड़ा हुआ है।

1. चंदेल वंश और मंदिरों का निर्माण:

  • खजुराहो के अधिकांश मंदिरों का निर्माण 950 से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल वंश द्वारा किया गया था। इस वंश के राजा कला और संस्कृति के बड़े संरक्षक थे। खजुराहो को उस समय धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया।
  • ऐसा माना जाता है कि चंदेल शासकों ने खजुराहो को अपने धार्मिक आस्था के प्रतीक के रूप में चुना, जहाँ उन्होंने हिंदू और जैन मंदिरों का निर्माण कराया। इन मंदिरों में उत्कृष्ट नागर शैली की वास्तुकला और शिल्पकला का प्रदर्शन किया गया है।

2. धार्मिक सहिष्णुता:

  • खजुराहो के मंदिरों को हिंदू और जैन धर्मों के लिए समर्पित किया गया, जो इस क्षेत्र में धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न धार्मिक विचारों के प्रति आदर को दर्शाता है।
  • यहाँ भगवान शिव, विष्णु और देवी-देवताओं के साथ जैन तीर्थंकरों की भी मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो उस समय की धार्मिक विविधता को प्रकट करती हैं।

3. प्राचीन वास्तुकला और मूर्तिकला:

  • खजुराहो के मंदिरों की वास्तुकला नागर शैली में बनाई गई है, जिसमें पत्थरों पर जटिल नक्काशी और सुंदर मूर्तिकला देखने को मिलती है।
  • इन मंदिरों की विशेषता है उनकी दीवारों पर उकेरी गई कामुक मूर्तियाँ, जो जीवन की विभिन्न भावनाओं और मानव कामुकता को दर्शाती हैं। यह कला का अद्वितीय रूप है और प्राचीन भारतीय संस्कृति में जीवन के सभी पहलुओं का सम्मान दर्शाता है।

4. 12वीं सदी के बाद का इतिहास:

  • 12वीं सदी के बाद, चंदेल वंश की शक्ति कमजोर हो गई, और खजुराहो का महत्व धीरे-धीरे घटने लगा। इसके बाद, खजुराहो के मंदिर और क्षेत्र काफी हद तक अज्ञात हो गए और कई शताब्दियों तक जंगल में छिपे रहे।
  • 19वीं सदी में, ब्रिटिश अधिकारी टी.एस. बर्ट ने 1838 में इन मंदिरों को पुनः खोजा और इसके बाद खजुराहो की महत्ता फिर से उभरने लगी।

5. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल:

  • खजुराहो के मंदिरों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को देखते हुए, इन्हें 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया। आज यह स्थान दुनिया भर के पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।

6. खजुराहो का नाम:

  • खजुराहो का नाम संस्कृत शब्द “खजूर” (खजूर या खजूर का पेड़) से लिया गया है। कहा जाता है कि पुराने समय में यहाँ खजूर के पेड़ों का बहुतायत था, जिसके कारण इसका नाम खजुराहो पड़ा।

7. संरक्षित मंदिर:

  • 12वीं सदी तक खजुराहो में 85 मंदिर थे, लेकिन अब केवल लगभग 25 मंदिर ही बचे हैं, जो 6 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें से प्रमुख मंदिरों में कंदारिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, और चतुर्भुज मंदिर शामिल हैं।

खजुराहो का इतिहास उसकी उत्कृष्ट मूर्तिकला, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। यहाँ के मंदिर भारतीय संस्कृति और कला के बेजोड़ उदाहरण हैं।

खजुराहो में घूमने के लिए कई आकर्षक स्थल और गतिविधियाँ हैं जो आपको इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल की गहराई से परिचित कराएंगी। यहाँ कुछ प्रमुख स्थान और अनुभव दिए गए हैं:

1. मुख्य मंदिर समूह:

  • कंदारिया महादेव मंदिर: यह खजुराहो के सबसे प्रसिद्ध और शानदार मंदिरों में से एक है। इसकी वास्तुकला और विस्तृत मूर्तिकला अद्वितीय है।
  • लक्ष्मण मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसमें उत्कृष्ट नक्काशी और कामुक चित्रण हैं।
  • चतुर्भुज मंदिर: भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर अपनी विशाल मूर्ति और प्रभावशाली वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
  • दक्षिणी समूह: इसमें दक्षिणी परशुराम मंदिर, चंद्रभान मंदिर, और चांडी मंदिर शामिल हैं, जो जैन धर्म के मंदिर हैं।

2. जैन मंदिर:

  • आदिनाथ मंदिर: यह जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है और इसकी सुंदर नक्काशी और कलाकृति को देखकर आप प्रभावित होंगे।
  • संथिनाथ मंदिर: यहाँ जैन तीर्थंकर संथिनाथ की मूर्ति स्थित है और मंदिर की वास्तुकला भी दर्शनीय है।

3. खजुराहो नृत्य महोत्सव:

  • खजुराहो नृत्य महोत्सव (Khajuraho Dance Festival) हर साल फरवरी-मार्च में आयोजित होता है। इसमें विभिन्न भारतीय नृत्य शैलियों जैसे कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिशी आदि की शानदार प्रस्तुतियाँ होती हैं। यह महोत्सव खजुराहो की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।

4. कला और शिल्प संग्रहालय:

  • खजुराहो संग्रहालय (Khajuraho Museum) यहाँ के मंदिरों और मूर्तियों की पुरानी कलाकृतियों का संग्रह है। यह संग्रहालय आपको खजुराहो के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की गहरी समझ प्रदान करेगा।

5. कस्ट्रो इन एंटीक मार्केट:

  • खजुराहो मार्केट: यहाँ आप स्थानीय हस्तशिल्प, आभूषण, और प्राचीन वस्त्र खरीद सकते हैं। यह बाजार स्थानीय संस्कृति और कला की झलक प्रदान करता है।

6. बोटैनिकल गार्डन:

  • खजुराहो बोटैनिकल गार्डन: यहाँ आप स्थानीय पौधों और वनस्पतियों की विविधता देख सकते हैं। यह एक शांतिपूर्ण और सुंदर स्थान है जहाँ आप आराम कर सकते हैं।

8. कैमल राइड और साइकल राइड:

  • खजुराहो के विभिन्न मंदिरों और स्थानों की सैर के लिए आप कैमल राइड या साइकल राइड का आनंद ले सकते हैं। यह आपको एक अलग अनुभव देगा और आप आसानी से विभिन्न स्थलों का भ्रमण कर सकेंगे।

9. खजुराहो के आसपास के दर्शनीय स्थल:

सांची: यह जगह बौद्ध स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है और खजुराहो से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित है।

बुंदेलखंड क्षेत्र: यह क्षेत्र ऐतिहासिक किलों और प्राचीन स्थलों के लिए जाना जाता है, जैसे कि महोबा किला और रानी महल।
पचमढ़ी: यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो आप खजुराहो के नजदीक पचमढ़ी जा सकते हैं, जो एक सुंदर हिल स्टेशन और वन्यजीव अभयारण्य है।

खजुराहो की यात्रा आपको भारतीय इतिहास, संस्कृति, और वास्तुकला की गहरी समझ प्रदान करेगी। यहाँ के अद्वितीय मंदिर और सांस्कृतिक अनुभव निश्चित रूप से आपके यात्रा के अनुभव को यादगार बना देंगे।

खजुराहो नृत्य महोत्सव (Khajuraho Dance Festival) हर साल फरवरी-मार्च के महीने में आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव आमतौर पर फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक चलता है, लेकिन तारीखें हर साल बदल सकती हैं।

महोत्सव की विशेषताएँ:

  • भव्य नृत्य प्रस्तुतियाँ: इस महोत्सव में भारत की विभिन्न नृत्य शैलियों जैसे कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिशी, कथकली, मोहिनीअट्टम, और मणिपुरी का प्रदर्शन किया जाता है।
  • स्थल: यह महोत्सव खजुराहो के प्रमुख मंदिरों के प्रांगण में आयोजित होता है, जिससे दर्शकों को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिवेश में नृत्य का आनंद मिलता है।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: महोत्सव का उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना और नृत्य कला के प्रति जागरूकता फैलाना है।

इस महोत्सव के दौरान, खजुराहो में बहुत सारी सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं, और यह एक बेहतरीन अवसर है भारतीय कला और संस्कृति को नजदीक से देखने का।

खजुराहो पहुँचने के कई तरीके हैं, और आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग से यहाँ आ सकते हैं। यहाँ सभी विकल्पों की जानकारी दी गई है:

1. हवाई मार्ग से खजुराहो कैसे पहुँचे:

  • खजुराहो एयरपोर्ट (Khajuraho Airport) शहर से लगभग 3-4 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • यहाँ से भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, वाराणसी और आगरा के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
  • हवाई अड्डे से आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा के माध्यम से आसानी से शहर और मंदिरों तक पहुँच सकते हैं।

2. रेल मार्ग से खजुराहो कैसे पहुँचे:

  • खजुराहो रेलवे स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, जैसे दिल्ली, झांसी, और वाराणसी।
  • खजुराहो के लिए कुछ प्रमुख ट्रेनें हैं:
    • खजुराहो-हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस (दिल्ली से)
    • खजुराहो-महोबा पैसेंजर
  • रेलवे स्टेशन से खजुराहो के मंदिरों तक पहुँचने के लिए टैक्सी या ऑटो रिक्शा आसानी से उपलब्ध होते हैं।

3. सड़क मार्ग से खजुराहो कैसे पहुँचे:

  • खजुराहो भारत के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप बस या निजी वाहन से यहाँ पहुँच सकते हैं।
  • आसपास के प्रमुख शहरों से दूरी:
    • झांसी से: लगभग 175 किलोमीटर
    • सतना से: लगभग 116 किलोमीटर
    • महोबा से: लगभग 80 किलोमीटर
  • राज्य परिवहन की बसें और निजी टूरिस्ट बसें खजुराहो के लिए नियमित रूप से चलती हैं।

4. निजी वाहन या टैक्सी से:

  • यदि आप निजी वाहन से यात्रा कर रहे हैं, तो खजुराहो तक पहुँचने के लिए नेशनल हाईवे के माध्यम से सीधा मार्ग है।
  • आसपास के शहरों से टैक्सी सेवा भी आसानी से उपलब्ध है, जो आपको आरामदायक यात्रा का अनुभव कराएगी।

इन साधनों में से जो भी आपको सुविधाजनक लगे, उसका उपयोग करके आप खजुराहो पहुँच सकते हैं और यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों और ऐतिहासिक धरोहरों का आनंद ले सकते हैं।

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Pariza Sayyed, an accomplished content writer with a decade of experience, has established herself as a significant contributor to the digital content landscape. Her journey in content writing began in her hometown of Bhopal, Madhya Pradesh, India, and has since taken her to the bustling metropolis of Delhi, where she honed her skills and built a robust portfolio.
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