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अमरकंटक (Amarkantak) का अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य: हरी-भरी वादियों और पवित्र नदियों का संगम

अमरकंटक का धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व इसे एक अद्वितीय और पवित्र स्थान बनाता है, जहां लोग आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आते हैं।

Pariza Sayyed
Last updated: August 26, 2024 9:08 PM
Pariza Sayyed
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अमरकंटक का इतिहास बहुत ही प्राचीन और पवित्र माना जाता है। यह स्थान धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अमरकंटक को “तीर्थों का राजा” कहा जाता है क्योंकि यहां नर्मदा, सोन और जोहिला नदियों का उद्गम होता है। इसे भारत के पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और इसकी चर्चा पुराणों में भी मिलती है।

पौराणिक इतिहास: अमरकंटक का उल्लेख महाभारत, रामायण और कई अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस स्थान को आशीर्वाद दिया था और यह स्थान देवी नर्मदा का निवास है। मान्यता है कि यहां तपस्या करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास: अमरकंटक का संबंध कई प्राचीन राजवंशों से रहा है। यह स्थान कलचुरी, मौर्य, गुर्जर-प्रतिहार और मराठों के अधीन रहा है। कलचुरी राजा कर्णदेव ने 11वीं शताब्दी में यहां कई मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें नर्मदा कुंड और अन्य प्रमुख मंदिर शामिल हैं।

आधुनिक इतिहास: अमरकंटक को आध्यात्मिकता और योग का केंद्र माना जाता है। आधुनिक समय में इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है। यहां का शांत वातावरण, हरे-भरे जंगल और नदियों का संगम पर्यटकों को आकर्षित करता है।

अमरकंटक में कई प्रसिद्ध मंदिर

अमरकंटक में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। यहाँ के प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:

1. नर्मदा मंदिर (नर्मदा कुंड):

यह मंदिर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है और अमरकंटक का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। नर्मदा कुंड से नर्मदा नदी निकलती है, और यहाँ कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जैसे कि शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, और नर्मदा देवी का मंदिर।

2. कर्ण मंदिर:

यह मंदिर कलचुरी राजा कर्णदेव द्वारा 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था। यह मंदिर प्राचीन वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है और नर्मदा कुंड के पास स्थित है।

3. कपालीश्वर महादेव मंदिर:

इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा की जाती है, और इसे अमरकंटक के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर अपनी अद्भुत स्थापत्य शैली के लिए जाना जाता है।

4. श्री यंत्र मंदिर:

यह मंदिर हिंदू तंत्र से जुड़ा हुआ है और इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहाँ की संरचना और वातावरण भक्तों को अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

5. अमरकंटक का जैन मंदिर:

इस मंदिर का निर्माण जैन तीर्थंकर आदिनाथ की प्रतिमा को समर्पित है। यह मंदिर अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए जाना जाता है और अमरकंटक के प्रमुख जैन धार्मिक स्थलों में से एक है।

6. सोनमुडा (सोन नदी का उद्गम स्थल):

यहाँ कोई मंदिर नहीं है, लेकिन इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह सोन नदी का उद्गम स्थल है। लोग यहाँ दर्शन करने और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं।

7. अद्वैत आश्रम (माई की बगिया):

यह आश्रम संत अद्वैतानंद जी द्वारा स्थापित किया गया था और यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक साधना के लिए उपयुक्त है। यहाँ कई मंदिर और ध्यान स्थल हैं।

8. दुर्गा मंदिर:

यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और नवरात्रि के समय विशेष रूप से यहाँ भक्तों की भीड़ होती है।

अमरकंटक के ये सभी मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और यहाँ हर साल हजारों तीर्थयात्री और पर्यटक दर्शन करने आते हैं।

अमरकंटक का प्राकृतिक सौंदर्य

अमरकंटक का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय और मनमोहक है। यह स्थान सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है, जिससे इसकी भौगोलिक विशेषताएँ और भी आकर्षक बन जाती हैं। यहां की हरी-भरी पहाड़ियाँ, घने जंगल, और पवित्र नदियों के संगम इसे एक अद्वितीय तीर्थ और पर्यटन स्थल बनाते हैं।

1. नदियों का उद्गम स्थल:

अमरकंटक को “तीर्थों का राजा” कहा जाता है क्योंकि यह स्थान नर्मदा, सोन, और जोहिला नदियों का उद्गम स्थल है। नर्मदा कुंड, जहां नर्मदा नदी का जन्म होता है, अपने पवित्र जल और सुंदर वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। सोनमुडा, जो सोन नदी का उद्गम स्थल है, पहाड़ियों के बीच स्थित है और वहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य अत्यंत मनमोहक होते हैं।

2. हरी-भरी घाटियाँ और जंगल:

अमरकंटक हरे-भरे जंगलों और घाटियों से घिरा हुआ है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाता है। यहां के जंगलों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और वन्यजीव पाए जाते हैं। यह स्थान अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है। यहां का शांतिपूर्ण वातावरण ध्यान और योग के लिए आदर्श है।

3. जलप्रपात (झरने):

अमरकंटक के आसपास कई सुंदर झरने भी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • कपिलधारा जलप्रपात: यह झरना नर्मदा नदी पर स्थित है और लगभग 100 फीट की ऊँचाई से गिरता है। यहां का दृश्य अत्यंत सुंदर और शांतिपूर्ण है।

4. प्राकृतिक उद्यान और उद्यान:

माई की बगिया एक सुंदर बाग है, जहां तरह-तरह के फलदार पेड़ और फूल खिले होते हैं। यह जगह देवी नर्मदा को समर्पित है और यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और शांति भक्तों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करती है।

5. अन्य दर्शनीय स्थल:

  • अमृतधारा: एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत झरना, जहां पानी की तेज धाराएँ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
  • शंभुधारा: यह भी एक सुंदर झरना है, जो अमरकंटक के हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित है।

6. पर्वतों के दृश्य:

अमरकंटक की पहाड़ियाँ और घाटियाँ एक लुभावना दृश्य प्रस्तुत करती हैं। यहाँ से सूर्यास्त और सूर्योदय का दृश्य अत्यंत मोहक होता है, जिसे देखना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।

अमरकंटक का प्राकृतिक सौंदर्य यहां के धार्मिक महत्व के साथ मिलकर इसे एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक धरोहर बनाता है। शांत वातावरण, स्वच्छ हवा, और हरियाली यहां आने वाले हर पर्यटक और भक्त को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करती है।

नर्मदा, जोहिला, और सोन नदियों की विवाह से जुड़ी एक दिलचस्प और पौराणिक कथा है, जो उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है। यह कहानी नदियों के बीच के संबंध को मानवीय रूप में प्रस्तुत करती है, जिसमें प्रेम, विवाह, और त्याग की भावनाएँ दिखाई गई हैं।

पौराणिक कथा: प्रेम और विवाह की कहानी:

नर्मदा, जोहिला और सोन को तीन पवित्र नदियाँ माना जाता है, और इनके बारे में एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि नर्मदा एक सुंदर और शक्तिशाली देवी थी, जो भगवान शिव की भक्ति में लीन रहती थी। उनके सौंदर्य और गुणों के कारण कई देवता और ऋषि उनसे विवाह करना चाहते थे।

नर्मदा और सोन का संबंध:

सोन (सोनभद्र), एक वीर और सुंदर राजकुमार थे, जो नर्मदा से विवाह करना चाहते थे। नर्मदा ने सोन से विवाह के लिए सहमति दे दी थी, लेकिन उनके विवाह की रात कुछ अनहोनी हो गई। इस बीच, नर्मदा की दासी जोहिला (जो नर्मदा नदी की सहायक नदी मानी जाती है) जिन्हे नर्मदा ने सोन के पास संदेश देकर भेजा था सोन से प्रेम करने लगी थी।

जोहिला ने सोन को एकांत में देखा और उनका मन मोह लिया। जोहिला के प्रेम से सोन भी प्रभावित हो गए और उन्होंने जोहिला के साथ समय बिताने का निर्णय लिया। जब नर्मदा को इस घटना के बारे में पता चला, तो वे बहुत क्रोधित और आहत हो गईं। उन्होंने अपना विवाह रद्द कर दिया और श्राप दे कर वहाँ से उलटी तरफ चली गईं।

नर्मदा का त्याग और प्रवाह:

अपने क्रोध और दुःख में नर्मदा ने तय किया कि वे पूर्व दिशा में नहीं, बल्कि उलटी तरफ पश्चिम दिशा में बहेंगी। यही कारण है कि नर्मदा नदी पश्चिम दिशा की ओर बहती है, जबकि सोन नदी पूर्व दिशा की ओर बहती है। इस तरह, दोनों नदियों का मिलन नहीं हो सका, और वे अलग-अलग दिशाओं में बहने लगीं। यह पौराणिक कथा इस बात का प्रतीक है कि नर्मदा ने विश्वासघात को स्वीकार नहीं किया और अपने प्रेम का त्याग कर स्वतंत्र रूप से बहने का निर्णय लिया।

जोहिला का प्रवाह:

कहते हैं कि जोहिला, जो नर्मदा की दासी थी, इस पूरी घटना से दुखी होकर अमरकंटक के जंगलों में जाकर एक छोटी नदी के रूप में बहने लगी और अंततः सोन नदी से मिलती है जोहिला नदी आज भी नर्मदा से अलग होकर बहती है इस श्राप के कारण जोहिला नदी का पानी पूजनीय नहीं है ।

प्रतीकात्मक अर्थ:

यह कहानी प्रेम, विश्वासघात, और त्याग की भावनाओं को दर्शाती है। नर्मदा का स्वतंत्र रूप से बहना उनके आत्मसम्मान और स्वतंत्रता का प्रतीक है। वहीं, सोन और जोहिला की कहानी प्रेम और पश्चाताप का प्रतीक मानी जाती है।

इस पौराणिक कथा के माध्यम से नर्मदा, सोन, और जोहिला नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बढ़ जाता है, और यह कहानी सदियों से लोगों के बीच प्रचलित है, जो नदियों के प्रवाह के पीछे की रहस्यमयी कथा को दर्शाती है।

अमरकंटक के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल:

नर्मदा नदी, नर्मदा कुंड, दूध धारा, कपिलधारा, माँ की बगिया, कबीर चबूतरा, सर्वोदय जैन मंदिर, श्री जलेश्वर महादेव मंदिर, कलचुरी काल के मंदिर, धुन पानी।

अमरकंटक कैसे पहुँचें?

अमरकंटक एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और यहां तक पहुंचने के कई साधन हैं। हालांकि यह जगह प्रमुख शहरों से थोड़ी दूर है, फिर भी सड़क, रेल और हवाई मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

1. सड़क मार्ग (Roadways):

अमरकंटक तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे सुविधाजनक है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों से बस या टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

  • जबलपुर: लगभग 230 किमी की दूरी पर है, और यहाँ से नियमित बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
  • बिलासपुर: अमरकंटक से लगभग 120 किमी दूर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
  • अनूपपुर: यह सबसे नजदीकी शहर है, जो लगभग 70 किमी दूर स्थित है।

2. रेल मार्ग (Railways):

अमरकंटक का निकटतम रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड (छत्तीसगढ़) है, जो लगभग 42 किमी की दूरी पर स्थित है।

  • पेंड्रा रोड से अमरकंटक तक: आप टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
  • अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन:
    • अनूपपुर रेलवे स्टेशन (70 किमी दूर)

3. हवाई मार्ग (Airways):

अमरकंटक का निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर व रायपुर एयरपोर्ट है, जो लगभग 230 किमी दूर है।

  • जबलपुर हवाई अड्डा: जबलपुर से अमरकंटक तक टैक्सी या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।
  • रायपुर हवाई अड्डा: यह भी एक विकल्प है, जो लगभग 230 किमी दूर है। रायपुर से अमरकंटक तक बस या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।

4. स्थानीय परिवहन:

अमरकंटक के भीतर यात्रा करने के लिए ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और स्थानीय बसें उपलब्ध हैं। आप निजी टैक्सी या ऑटो किराए पर लेकर मंदिर और पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं।

अमरकंटक का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व इसे एक अद्वितीय स्थान बनाता है, इसलिए यहाँ पहुँचने के बाद यात्रा की थकान भी अनूठे अनुभव में बदल जाती है। अमरकंटक मंदिर हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है। अमरकंटक पठार एक सुंदर और देखने योग्य पर्यटन स्थल है, जिसे हर साल हजारों लोग आते हैं। अमरकंटक यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है, जब मौसम सुहावना होता है और वातावरण भी अधिक आकर्षक लगता है। इसके अलावा, शहर का सबसे बड़ा त्योहार, ‘नारद जयंती,’ जनवरी में मकर संक्रांति के समय मनाया जाता है। यदि आप कुछ खरीदने की इच्छा रखते हैं, तो मंदिर परिसर में Souvenirs, हस्तशिल्प जैसी वस्तुएँ उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, यहां कुछ दुकानें भी हैं जो हर्बल दवाइयाँ और सुंदरता उत्पाद बेचती हैं।

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Pariza Sayyed, an accomplished content writer with a decade of experience, has established herself as a significant contributor to the digital content landscape. Her journey in content writing began in her hometown of Bhopal, Madhya Pradesh, India, and has since taken her to the bustling metropolis of Delhi, where she honed her skills and built a robust portfolio.
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