भारत ने 45वें फिडे चेस ओलंपियाड में शानदार प्रदर्शन किया और सभी तीन ट्रॉफियाँ अपने नाम की। यह उपलब्धि सिर्फ देश के लिए गर्व की बात नहीं है, बल्कि यह भारतीय शतरंज की दुनिया में एक नई पहचान बनाने का प्रतीक भी है। इस बार भारत ने चेस ओलंपियाड ट्रॉफी, वुमेंस ओलंपियाड ट्रॉफी और ओपन एंड वुमेंस कैटेगरी में कंबाइंड रिजल्ट की स्पेशल ट्रॉफी जीती।
दस खिलाड़ियों की इस टीम ने मिलकर एक स्वर्णिम चाल चली, जिससे भारत को पहली बार विश्व शतरंज का बादशाह बनाने का सम्मान मिला। टीम में पांच पुरुष और पांच महिला चैंपियन शामिल थे, जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से हर भारतीय खेलप्रेमी के चेहरे पर खुशी बिखेर दी।
टीम के चैंपियन खिलाड़ी
- दिव्या देशमुख (वुमेंस)
 
- उम्र: 18 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 737
 - ईएलओ रेटिंग: 2483
 - प्रदर्शन: 11 बाजियाँ, 8 जीत, 3 ड्रॉ
 
- तानिया सचदेव (वुमेंस)
 
- उम्र: 38 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 2021
 - ईएलओ रेटिंग: 2386
 - प्रदर्शन: 5 बाजियाँ, 2 जीत, 3 ड्रॉ
 
- वंतिका अग्रवाल (वुमेंस)
 
- उम्र: 21 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 2316
 - ईएलओ रेटिंग: 2370
 - प्रदर्शन: 9 बाजियाँ, 6 जीत, 3 ड्रॉ
 
- आर वैशाली (वुमेंस)
 
- उम्र: 23 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 629
 - ईएलओ रेटिंग: 2498
 - प्रदर्शन: 10 बाजियाँ, 4 जीत, 4 ड्रॉ
 
- डी हरिका (वुमेंस)
 
- उम्र: 33 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 608
 - ईएलओ रेटिंग: 2502
 - प्रदर्शन: 9 बाजियाँ, 3 जीत, 3 ड्रॉ
 
- डी गुकेश (मेंस)
 
- उम्र: 18 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 7
 - ईएलओ रेटिंग: 2764
 - प्रदर्शन: 10 बाजियाँ, 8 जीत, 2 ड्रॉ
 
- अर्जुन एरिगैसी (मेंस)
 
- उम्र: 21 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 4
 - ईएलओ रेटिंग: 2778
 - प्रदर्शन: 10 बाजियाँ, 8 जीत, 2 ड्रॉ
 
- आर प्रग्नानंदा (मेंस)
 
- उम्र: 19 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 12
 - ईएलओ रेटिंग: 2750
 - प्रदर्शन: 10 बाजियाँ, 3 जीत, 6 ड्रॉ
 
- पी हरिकृष्णा (मेंस)
 
- उम्र: 38 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 41
 - ईएलओ रेटिंग: 2686
 - प्रदर्शन: 3 बाजियाँ, 2 जीत, 1 ड्रॉ
 
- विदित गुजराती (मेंस)
- उम्र: 29 साल
 - वर्ल्ड रैंकिंग: 24
 - ईएलओ रेटिंग: 2720
 - प्रदर्शन: 10 बाजियाँ, 5 जीत, 5 ड्रॉ
 
 
टीम की मेहनत और रणनीति
इस सफल अभियान में खिलाड़ियों ने एक-दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित किया। हर खिलाड़ी ने अपनी ताकत का पूरा इस्तेमाल किया और सामूहिक रणनीतियों पर काम किया। हर मैच में, खिलाड़ियों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों का मनोबल तोड़ने के लिए रणनीति बनाई और उन्होंने दिखाया कि भारतीय शतरंज केवल अनुभव पर नहीं, बल्कि युवा प्रतिभाओं पर भी निर्भर करता है।
भारतीय शतरंज का भविष्य
इस उपलब्धि के बाद, भारतीय शतरंज को एक नई दिशा मिली है। देश में शतरंज के प्रति बढ़ती रुचि और युवा खिलाड़ियों का उदय इसे और मजबूत बनाता है। भारतीय शतरंज महासंघ और राज्य संघों को अब इस मोड़ पर कदम उठाने होंगे, ताकि खिलाड़ियों को और अवसर मिल सकें।
समापन
भारत ने इस चेस ओलंपियाड में जो स्वर्णिम विजय प्राप्त की है, वह न केवल खिलाड़ियों की मेहनत का फल है, बल्कि यह दर्शाता है कि देश में खेल के प्रति एक नई जागरूकता आ रही है। इन चैंपियन खिलाड़ियों ने साबित किया है कि भारत में शतरंज की क्षमता असीमित है। यह उपलब्धि हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है और इससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें।
यह स्वर्णिम जीत भारतीय खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है।