शहडोल । योगा एक प्राचीन भारतीय विद्या है, जो शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य शारीरिक और मानसिक संतुलन को प्राप्त करना है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जी सके। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास का भी साधन है। और इसी योग ने शहडोल के एक छात्र को गोल्ड मैडल दिलाया है ।
योग के खिलाड़ी शहडोल का नाम कर रहे रोशन
विद्या भारती की राष्ट्रीय योगासन प्रतियोगिता गाजियाबाद में आयोजित हुई।जिसमे शहडोल जिले के सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र कपिल त्रिपाठी ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सबका मन मोह लिया।उन्होंने इस प्रतियोगिता में ट्रेडिशनल योगासन में तथा आर्टिस्टिक में स्वर्ण पदक प्राप्त कर शहडोल जिले का मान बढ़ाया है। इनका चयन स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SGFI )में आयु वर्ग 17 में हुआ है। अब आगे की योगासन प्रतियोगिता महाराष्ट्र में आयोजित होगी।
बता दें कि इनके पिता शिवेंद्र त्रिपाठी योग प्रशिक्षक हैं। जिनके मार्गदर्शन में शहडोल जिले कई बच्चे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रति वर्ष पदक प्राप्त कर चुके हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि योगा एक जीवनशैली है, जो न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है, बल्कि व्यक्ति को उसकी आत्मा के साथ भी जोड़ती है। यह स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने का एक अद्भुत साधन है।
योगा के प्रमुख लाभ:
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार:
योग के नियमित अभ्यास से शरीर लचीला और मजबूत होता है। यह मांसपेशियों को टोन करता है, रक्त संचार को बेहतर करता है और पाचन तंत्र को सुदृढ़ करता है।
मानसिक शांति:
योग ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन को शांत करता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है और मस्तिष्क को एकाग्र करता है।
आध्यात्मिक विकास:
योग मनुष्य को उसके आंतरिक स्व के साथ जोड़ता है। आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर योग गहराई से ध्यान और संयम की विधियां सिखाता है।
रोगों की रोकथाम:
योग कई प्रकार की बीमारियों, जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और मोटापे की रोकथाम और इलाज में सहायक हो सकता है।
जीवनशैली में सुधार:
योग से व्यक्ति की दिनचर्या और खान-पान में अनुशासन आता है। यह एक समग्र जीवनशैली को बढ़ावा देता है, जो लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की ओर ले जाता है।
योग के प्रकार:
हठ योग: यह सबसे पारंपरिक योग पद्धति है, जिसमें शारीरिक मुद्राओं (आसन) और प्राणायाम (सांस की तकनीक) का अभ्यास होता है।
विन्यास योग: इसमें आसनों को क्रम में और लयबद्ध तरीके से किया जाता है। यह शरीर की ताकत और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए उपयुक्त है।
अष्टांग योग: यह पद्धति शारीरिक और मानसिक अनुशासन पर जोर देती है और इसमें आठ अंग होते हैं, जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
बिक्रम योग: इसमें 26 आसनों का अभ्यास एक निश्चित तापमान पर किया जाता है, जिससे शरीर की शुद्धि होती है और मांसपेशियों को लचीला बनाया जाता है।
कुंडलिनी योग: इस योग का उद्देश्य शरीर में स्थित कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना है। इसमें शारीरिक मुद्राओं के साथ-साथ ध्यान और मंत्र जाप का अभ्यास होता है।