बुढ़ार में सैकड़ों श्रमिकों ने प्रदर्शन करते हुए आवाज बुलंद करते हुए मुख्यमंत्री के नाम 10 सूत्रीय मांगों को लेकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। प्रदेशभर में वर्षों से अपनी मांगों की अनसुनी पीड़ा सह रहे दैनिक वेतनभोगी और कार्यभारित श्रमिकों का गुस्सा आखिरकार अब फूट पडा है और उन्होंने अब आगे बड़े आन्दोलन की चेतावनी दी है ।
आज के इस आयोजन का नेतृत्व कर रहे संघ के शहडोल जिला संयोजक अशोक चतुर्वेदी ने हुंकार भरते हुए कहा कि
यह सिर्फ ज्ञापन नहीं, हमारे आत्म-सम्मान की पुकार है।आज यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश के सभी जिलों में यह ज्ञापन भारतीय मजदूर संघ के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर एक साथ सौंपा गया, जिसमें हज़ारों श्रमिकों ने भाग लिया है।इसके साथ ही अब हम लोगों ने अपने सम्मान की लड़ाई के लिए कदम आगे बढ़ा दिया है ।
यह है दस सूत्रीय मांग
श्री चतुर्वेदी ने बताया कि हमारे द्वारा दिए गये ज्ञापन की दस सूत्रीय निम्न मांग शामिल है । जिसमे वर्षों से वन विभाग, वन विकास निगम और अन्य विभागों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों को स्थायी किया जाए और सातवां वेतनमान वर्ष 2016 से लागू हो। सभी पात्र श्रमिकों को चिकित्सा भत्ता, गृह भत्ता, अर्जित अवकाश, भविष्य निधि जैसी न्यूनतम मानवीय सुविधाएं दी जाएं। चौकीदार, अंशकालीन व मस्टरकर्मियों के परिजनों को पुनः अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिले। पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य रिटायरमेंट लाभ विलंब रहित मिलें – इसे शासन की जवाबदेही माना जाए। सभी श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल और आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए। कृषि विज्ञान केंद्रों सहित अन्य विभागों में चल रहे श्रमिक शोषण पर सख्त कार्रवाई हो।स्थल सहायकों को 2750 के बजाय लंबित 3050 रुपए वेतनमान दिया जाए। दैनिक वेतन सेवाओं को स्थायी सेवा में जोड़ा जाए ताकि पेंशन लाभ सुनिश्चित हो। महिला मस्टरकर्मियों को सुरक्षा और मातृत्व लाभ दिए जाए तथा सभी मुद्दों पर स्थायी संवाद हेतु राज्य स्तर पर एक संयुक्त वार्ता समिति का गठन हो।
श्री अशोक चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि सरकार को अब यह समझना होगा कि ये श्रमिक ही प्रदेश की रीढ़ हैं। यदि इन्हें सम्मान नहीं मिला, तो हम प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे। यह लड़ाई केवल वेतन की नहीं बल्कि इससे आगे बढकर सम्मान की है।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि शीघ्र कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो संघ बड़ा आंदोलन करेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन -प्रशासन की होगी।