बाबा 18 जनवरी 1969 को 93 वर्ष की आयु में बाबा अपने भौतिक शरीर को छोड़ अव्यक्त हुए थे। सेवा केंद्र संचालिका बीके रीता दीदी ने बताया कि ब्रह्मा बाबा ने 1936 में परमात्मा का साक्षात्कार किया और वह हीरे जवाहरात के प्रसिद्ध व्यापार को छोड़ परमात्मा की सेवा में लग गए । परमात्मा की प्रेरणा से उन्होंने नारी को शक्ति बनाने का संकल्प लिया और अपनी सारी जमा पूंजी,जमीन जायदाद बेचकर ट्रस्ट बनाया तथा संचालन की पूरी जिम्मेवारी बहनों को सौप खुद पीछे रहे ।
नारी शक्ति को बढया आगे
सदैव सबको स्लोगन दिया कि नारी नरक का द्वार नहीं सर का ताज है, नारी अबला नहीं सबला है, नारी शक्ति स्वरुप है। समाज में नारी का खोया हुआ सम्मान दिलाने भारत माता वंदे मातरम की गाथा को सही अर्थों में चरितार्थ करने हेतु वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज का ट्रस्ट बनाकर उसमें संचालन की जिम्मेवारी बहनों को सौंप दी । परिणामस्वरूप आज ब्रह्माकुमारीज में लगभग 50 हजार बहनें समर्पित होकर पूरे विश्व में समाज कल्याण की सेवा कर रही हैं । वर्तमान समय 140 देशों में करीब 5 हजार सेवा केंद्र संचालित है, जिनमें 20 लाख से अधिक लोक संस्था के निमित्त विद्यार्थी हैं । जो नियमित राजयोग मेडिटेशन व सत्संग मुरली क्लास को अटेंड करते हैं। साथ ही 2 लाख से अधिक ऐसे युवा हैं जो बाल ब्रह्मचारी रहकर संस्थान से जुड़कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बुढार सेवा केंद्र में आज अव्यक्त दिवस के निमित्त विशेष ब्रह्मा भोजन का आयोजन किया गया ,जिसमें संस्था से जुड़े सभी भाई-बहनों ने परमात्मा की याद में बना भोजन ग्रहण किया। सुबह से ही सभी बीके सदस्यों ने मौन में रहकर साधना की। कार्यक्रम को सफल बनाने में बीके प्रवीण भाई, बीके यानेक बहन, जसपाल गुरिया,शीतल,अर्चना,अरुण अग्रवाल आदि सभी का सराहनीय योगदान रहा। विदित हो कि आज विश्व भर में ब्रह्म कुमारी आश्रम संचालित है ,जहां आत्मीय सुख के लिए हजारो लोग आते हैं ।