इस बात की जानकारी लगने के बाद वृद्ध अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर के दरबार पहुँचा और सारी बात बताते हुए न्याय की गुहार लगाई । ग्राम कोटमा निवासी राजू बैगा ने कलेक्टर को बताया कि जमीन दलालों ने उन्हे जीते जी मार डाला। इतना ही नहीं पूर्वजों की संपत्ति से ढाई एकड़ जमीन मिली थी, उसे मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर चाचा के नाम ट्रांसफर किया और चाचा ने जमीन बेची तो नामांतरण भी हो गया। राजू बैगा ने बताया कि वे बीते कई वर्षों से सीधी में रह रहा था । लेकिन अब उसे वापस अपने गांव कोटमा में रहने की इच्छा हुई तो वह यहां फिर से आ गया ।
यहाँ आने के बाद मुझे पता चला कि जमीन दलालों के प्रभाव में आकर सिस्टम ने उन्हे जिंदा रहते ही मृत घोषित कर दिया इतना ही नहीं उसके नाम करीब साढ़े चार साल पहले मृत्यु प्रमाण पत्र भी सोहागपुर तहसील से जारी किया जा चुका है । पीड़ित राजू बैगा ने कहा साहब मै तो अभी जिन्दा हूँ फिर भी मुझे जीते जी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है । राजू ने कहा कि वह जिंदा हैं और उन्हे जीवित का प्रमाण पत्र दिया जाए। साथ ही मृत्यु प्रमाण पत्र निरस्त कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
विदित हो कि फैयादी राजू बैगा पिता हीरालाल बैगा का मृत्यु प्रमाण पत्र 28 अक्टूबर 2021 को जारी किया गया है । मृत्यु प्रमाण पत्र आवेदक और राजू बैगा के चाचा छोटू बैगा द्वारा 6 सितंबर 2021 को दिए गए शपथ पत्र के आधार पर जारी हुआ। इस शपथ पत्र में 80 वर्षीय छोटू बैगा ने बताया था कि उसके भतीजे राजू बैगा पिता हीरालाल बैगा की मृत्यु 28 अगस्त
2005 को हो गई है।राजू बैगा के जीवित रहने के बाद भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाने मामले की जांच पुलिस ने भी
शुरू की है। जांच टीम ने कोटमा सरपंच सहित गांव के अन्य लोगों का बयान लिया गया है।
इस पूरे प्रकरण में क्षेत्र में सक्रिय जमीन के दलालों की अहम् भूमिका बताई जा रही है। इसलिए पुलिस मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ साथ ऐसे दलालों के बारे में भी जांच में जुट गयी है ,जो पीड़ित की जमीं के लेन देन में शामिल थे ।
इस सम्बन्ध में कलेक्टर डॉ. केदार सिंह का कहना है कि राजू बैगा कार्यालय आए थे। समस्या बताई है। राजू बैगा ने आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज भी दिखाए हैं। पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच उपरान्त सारे तत्थ्य सामने आने के बाद आगे कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी ।
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